SP में जारी कलह के चलते UP के CM अखिलेश ने गुरुवार सुबह 10 बजे अपने आधिकारिक आवास 5 कालीदास मार्ग पर विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई है।
यूपी में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद भी सपा में चाचा-भतीजे की जंग पर विराम नहीं लग सका है, वहीं आजम खान और अतीक अहमद जैसे पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि जल्द ही इस अंदरूनी संघर्ष पर विराम लग जाएगा।
सीएम अखिलेश यादव-मुलायम सिंह यादव और वरिष्ठ नेताओं के बीच जारी बैठकों के दौर में दोनों ही गुट अपनी-अपनी जिद पर अड़े हैं। ऐसे में सीएम अखिलेश ने गुरुवार को विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई है। ऐसी खबर है कि मुलायम अखिलेश मांगों पर नरम रुख अपना सकते हैं। वहीं राम गोपाल यादव ने सुलह की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि अब सुलह मुमकिन नहीं है।
इस दौरान अमर सिंह ने भी निर्वाचन आयोग में कुछ दस्तावेज जमा किए हैं और 1 जनवरी को अखिलेश की बुलाई सभा को असंवैधानिक करार दिया है क्योंकि इसके लिए पार्टी अध्यक्ष की अनुमति नहीं ली गई थी। वहीं अखिलेश का कहना है कि वे चुनाव लड़ने जा रहे हैं और यूपी की सत्ता में फिर से उनकी वापसी होगी। अखिलेश ने कहा, ‘कहां नट-बोल्ट लगाना है, कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, सही से करेंगे।
दो फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी में अब सुलह की कोशिशें तेज हो गई है और ये जिम्मा उठाया है आजम खान ने। दोनों ही खेमों ने बातचीत अब शर्तों पर आकर टिक गई है। मंगलवार को मुलायम और अखिलेश ने 4 घंटे की लंबी मुलाकात की, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। मुलायम के घर पर अखिलेश के साथ शिवपाल यादव भी मौजूद रहे, लेकिन तीनों नेताओं ने सुलह पर चुप्पी साधी रखी।
बुधवार को फिर मुलायम सिंह के घर पर बैठक हुई। इसमें शिवपाल यादव और आजम खान भी शामिल हुए। लंबी चली मीटिंग के बाद आजम खान मुलायम के घर से वापस चले गए। आजम खान पार्टी में सुलह का फॉर्मूला लेकर सामने आए थे। आजम खान ने दोनों पक्षों से थोड़ी नरमी बरतने और चुनाव के लिए मिलकर काम करने की अपील की है। इस बैठक में नारद राय और ओमप्रकाश समेत कई नेता शामिल हुए। माना जा रहा है आजम खान इसके बाद अखिलेश यादव से मुलाकात कर आगे की संभावनाओं पर बात करेंगे।
दरअसल कई मौकों पर लगा कि पिता-पुत्र की जोड़ी भले ही मानने को तैयार हो जाती हो, लेकिन जानकारों के मुताबिक जिन शक्तियों से पिता और पुत्र अलग-अलग घिरे हैं, कहीं ना कहीं वो सुलह में रोड़ा बन कर सामने आ जाती है। मुलायम की कमजोरी अमर और शिवपाल हैं, तो वहीं अखिलेश का हाथ रामगोपाल के साथ है। सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि अगर आज बात नहीं बनी तो अखिलेश यादव मुलायम सिंह से अलग होकर चुनाव लड़ सकते हैं। यहां तक की अगर उन्हें चुनाव चिन्ह साइकिल भी नहीं मिला तो नई पार्टी का भी गठन कर सकते हैं।