उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी ने आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए बकायदा पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की तरफ से चिट्ठी जारी की गई है. इसमें उन्होंने साफ किया है कि किसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया जाएगा.
चिट्ठी के मुताबिक जिन लोगों को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए आवेदन करना है, उन्हें बाकायदा पार्टी की तरफ से दिए गए एक फॉर्मेट में अपनी जानकारियां भेजनी होंगी.
फॉर्म के साथ 10 हजार रुपये का आवेदन शुल्क जमा कराया जाएगा. आवेदनकर्ता को फॉर्मेट में यह भी बताना होगा कि उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज है या नहीं. उसे समाजवादी बुलेटिन का आजीवन सदस्य होना चाहिए, समाजवादी पार्टी का सक्रिय सदस्य होना चाहिए और साथ ही साथ आवेदनकर्ता के ऊपर समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय अथवा किसी भी कार्यालय का कोई भी शुल्क बकाया नहीं होना चाहिए.
लेकिन सबसे खास बात यह है कि इस बार समाजवादी पार्टी ने अपने पार्टी के नेताओं से आवेदन के साथ-साथ इस बात की भी डिटेल मांगी है कि कहीं उनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा तो दर्ज नही है. समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह के मुताबिक ऐसा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर हो रहा है और समाजवादी पार्टी चाहती है कि उसके सारे आवेदनकर्ता और चुनाव के लिए कैंडिडेट्स साफ-सुथरी छवि वाले हों.
उन पर कोई मुकदमा या गंभीर आरोप न हों, इसीलिए यह जानकारी लिखित रूप से मांगी गई है. गौरतलब है समाजवादी पार्टी समेत तमाम पार्टियां अभी तक दागी कैंडिडेट को देने से परहेज नहीं करती रही हैं. यह पहली बार हो रहा है जब लिखित रूप से किसी पार्टी की तरफ से अपराधिक मुकदमों की जानकारी मांगी गई है. साथ ही 10 हजार रुपये की रकम जमा करने का आदेश भी पहली बार कोई पार्टी कर रही है.
इसके पीछे भी पार्टी का तर्क है ताकि सीरियस कैंडिडेट अप्लाई कर सके और पार्टी फंड के लिए भी धनराशि का इंतजाम हो सके. बहरहाल इस आदेश से चर्चा इस बात की है कि क्या वाकई समाजवादी पार्टी साफ छवि वाले कैंडिडेट्स को ही आगामी चुनाव में उतारना चाहती है या फिर साफ छवि होने का सिर्फ दिखावा करना चाहती है.
अगर इतिहास पर गौर किया जाए तो समाजवादी पार्टी समेत बीजेपी, बहुजन समाज पार्टी या कांग्रेस कोई भी पार्टी ऐसी नहीं है, जिसमें दागी छवि वाले कैंडिडेट्स ने चुनाव ना लड़ा हो. अब देखना यह है समाजवादी पार्टी इस जानकारी का वाकई टिकट बंटवारे में इस्तेमाल करती है या फिर कागजी खानापूर्ति करके छोड़ देती है.