मायावती को लगा फिर एक जोर का झटका, इस बड़े नेता ने छोड़ी पार्टी

मऊ। मायावती पर रुपये लेकर चुनावी टिकट बेचने का आरोप लगाकर बसपा के एक नेता ने पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि बसपा में 10 लाख रुपये देने के बाद ही विधायक का टिकट कन्‍फर्म होता है।  उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद में आज बसपा के पूर्व क्षत्रिय समाज भाई चारा कमेटी, सेक्टर कोआडीनेटर अजय सिंह ने बसपा सुप्रिमो मायावती पर गंभीर आरोप लगाया की बहन जी प्रदेश के सभी सीटो से जो टिकट बाट रही है। उन्‍होने कहा कि, प्रदेश के 80 विधायको से भी 10 करोड़ रूपये लेने के बाद पार्टी से टिकट देने की बस्ती कही गयी है। यही कारण है कि पिछले दिनों कई नेताओ ने पार्टी छोड़ दिया।

मायावती को लगा फिर एक जोर का झटका, इस बड़े नेता ने छोड़ी पार्टीमायावती को बड़ा झटका

सिंह ने अपने त्‍यागपत्र में लिखा कि उस दिन दयाशंकर जी ने आपको अपशब्द बोला तब भी बहुत बुरा लगा और मै भी अन्य कार्यकर्त़ोओ के साथ लखनऊ पहुचा था आपके अपमान का बदला लेने पर वहा जो हो रहा था उसे देख कर और सुन कर मेरी आत्मा काँप गयी ,वहा पर तो वही हो रहा था जिसको त्याग कर मेरे जैसे कुछ लोग बसपा मे गये थे,एक गाँली के बदले हजार गाली वो भी उन मासूमो को जिनका कोई कसूर नही था,मुझे बर्दाश्त नही हुआ और मै कार्यकर्म बीच मे छोड कर वापस आ गया।

मैं रात मे सो नही पाया,सोचता रहा एक सँर के बदले हजार सँर इसी सिद्धान्त को ही तो त्याग कर हम बसपा मे गये थे और वहा भी अब वही,सुबह जब दयाशंकर जी कि पत्नी को देखा अपने साथ हुए अपमान के न्याय पाने के लिए अकेले लखनऊ के सड़को पर दर-दर कि ठोकर खाते हुए तो हमारी आत्मा हिल गयी मै अपने को लाख समझा रहा हू पर मानता हि नही,और उसमे जब आपके विचार हमने सुना कि दयाशंकर को एहसाश दिलाने के लिए यह जरुरी था कि उनकी मासूम माँ,पत्नी तथा अबोध बेटी को अपमानित किया जाय तो फिर अब बाकी क्या बचा,रात मे जब सो रहा हू तो मेरे कानो मे दयाशंकर कि माँ,पत्नी वह मासूम बेटी कि चीख सुनाई पडती है ,वो मुझसे पूछती है क्या?

क्षेत्रीय समाज का खून-खून नही रहा पानी हो गया,जिसमे इतनी भी गैरत नही बची है वह अपने मासूम माँ,बहन और अबोध बेटी के साथ हुए अन्याय पर भी न खौले मै बहुत हि बेचैन हो जा रहा हू मेरी आत्मा मुझे धिक्कारती है,वह कहती है यह स्थान तुम्हारे लिए नही है। अजय ने यहां तक कह डाला कि चुनाव आयोग यदि बसपा पर नकेल कसती तो शायद बसपा इस तरह खुलेआम पार्टी टिकट देने के नाम पर धनउगाही नही करती क्योकि अन्य राष्ट्रीय पार्टियां पार्टी टिकट देंती है तो चुनाव लड़ने के लिये पार्टी कंडीडेट को स्वयं चुनाव लड़ने के लिये पैसे देती है लेकिन बसपा में उल्टा होता है।

 

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