उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित मां दुर्गा के इस मंदिर की रखवाली शेर करते हैं, लेकिन वह स्थानीय लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
तो क्या कान्हा ने, इस वजह से नहीं किया राधा से विवाह! नवरात्र पर मां के इस मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है। झूला देवी मंदिर, झुला देवी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, रानीखेत शहर से 7 किमी. की दूरी पर स्थित यह एक लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। मान्यता है कि रानीखेत के जिस क्षेत्र में यह मंदिर मौजूद है वहां जंगली जानवरों का आतंक था। इस कारण वहां के स्थानीय लोग घर से निकलने में डरते थे। एक बार मां दुर्गा किसी ग्रामीण के सपने में आई और उसे किसी जगह की खुदाई करने को कहा। जब खुदाई की गई तो वहां से एक देवी की मूर्ति निकली जिसको इसी मंदिर में झूले पर स्थापित किया गया।
नवरात्र पर मां के इस मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है। झूला देवी मंदिर, झुला देवी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, रानीखेत शहर से 7 किमी. की दूरी पर स्थित यह एक लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। मान्यता है कि रानीखेत के जिस क्षेत्र में यह मंदिर मौजूद है वहां जंगली जानवरों का आतंक था। इस कारण वहां के स्थानीय लोग घर से निकलने में डरते थे। एक बार मां दुर्गा किसी ग्रामीण के सपने में आई और उसे किसी जगह की खुदाई करने को कहा। जब खुदाई की गई तो वहां से एक देवी की मूर्ति निकली जिसको इसी मंदिर में झूले पर स्थापित किया गया। 
एक क्लिक में मां के नौ रूपों के दर्शन, ऐसे होगी पूरी मनोकामना…
लोगों का मानना है कि मंदिर में प्रार्थना करने वाले लोगों की मनोकामनाएं मां झूला देवी पूरी करती हैं।
मुराद पूरी होने पर इस मंदिर में तांबे की घंटी चढ़ाई जाती है। इस मंदिर में हजारों घंटियां लोगों की आस्था का प्रतीक हैं।
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