विधानसभा चुनाव से दो माह पहले भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र एवं मुंबई इकाई में परिवर्तन कर दिया गया है। फड़नवीस सरकार में राजस्व मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल को महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक मंगलप्रभात लोढ़ा को मुंबई अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।
चंद्रकांत दादा पाटिल पार्टी का मराठा चेहरा हैं। कोल्हापुर के रहनेवाले हैं। कभी कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस का गढ़ रहे पश्चिमी महाराष्ट्र में भाजपा को जमाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। 2014 में फड़नवीस सरकार आने के बाद से ही राजस्व मंत्री के रूप में सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं। संघ और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी भी माने जाते हैं। पिछले दो साल से महाराष्ट्र में चलते आ रहे मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान सरकार और मराठा समुदाय के बीच संवाद का माध्यम भी रहे हैं।
चूंकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का पद विदर्भ के एक ब्राह्मण चेहरे देवेंद्र फड़नवीस को दे रखा है, और राज्य की 32 फीसद मराठा आबादी को कांग्रेस-राकांपा के करीब माना जाता है। कांग्रेस और राकांपा दोनों दलों के प्रदेश अध्यक्ष भी मराठा हैं। इसलिए जातीय संतुलन बैठाने के लिए भी भाजपा को किसी कद्दावर मराठा चेहरे की जरूरत थी। चंद्रकांत दादा पाटिल इस पैमाने पर भी खरे उतरेंगे। चंद्रकांत दादा पाटिल ने मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाए रावसाहब दानवे पाटिल की जगह ली है।
दूसरी ओर विधायक मंगलप्रभात लोढ़ा को मुंबई अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजस्थान मूल के लोढ़ा मारवाड़ी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुंबई ही नहीं, देश के बड़े भवननिर्माताओं में उनकी गिनती होती है। मुंबई के सबसे धनाढ्य क्षेत्र मलाबार हिल्स के विधायक हैं। हिंदीभाषी होने के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार मूल की मुंबई में रहनेवाली बड़ी आबादी के बीच समरस हो जाते हैं। इसलिए उन्हें हाल ही में फड़नवीस मंत्रिमंडल में लिए गए आशीष शेलार की जगह मुंबई अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।
भाजपा का मानना है कि शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने पर मुंबई परिसर के मराठीभाषी मतदाताओं को लुभाने की जिम्मेदारी उनका सहयोगी दल उठाएगा। जबकि गैर मराठी भाषी मतदाताओं के लिए कोई गैरमराठीभाषी अध्यक्ष होना चाहिए। पहले माना जा रहा था कि हाल ही में मंत्रीपद से हटाए गए गुजराती चेहरे प्रकाश मेहता को यह जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन उन पर लगे जिन आरोपों के कारण उन्हें मंत्रीपद से हटाया गया, वही आरोप उनके आड़े आ गए।
दूसरी ओर गुजरातीभाषी प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के रहते मुंबई अध्यक्ष के रूप में भी किसी गुजराती भाषी को लाना पार्टी को जरूरी भी नहीं लगा। इसलिए प्रदेश संगठन में जिस तरह कांग्रेस-राकांपा को टक्कर देते हुए मराठा समुदाय से अध्यक्ष का चयन किया गया, उसी प्रकार कांग्रेस के मारवाड़ी मुंबई अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को टक्कर देते हुए भाजपा ने भी मारवाड़ी मुंबई अध्यक्ष चुनना बेहतर समझा।