भ्रह चक्र में सूर्य़ को पिता और आत्मा का कारक माना जाता है। सौर्य मण्डल में सूर्य ही जीवन का कारण है। पृथ्वी पर मौसम और वातावरण तथा वर्षा और जीवन चक्र को सूर्य ही संचालित करते हैं। शास्त्रों में सूर्य के 12 स्वरूपों का वर्णन किया गया है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब अंशुमान स्वरूप में पूजे जाते हैं, यही दसवें आदित्य हैं सूर्य का दसवां स्वरूप संसार को वायु रूप में प्राण तत्व देकर देह में विराजमान रहता है।
अंशुमान से ही जीवन सजग और तेजपूर्ण रहता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो व्यक्ति के जीवन में पोजिटिव इफैक्ट आने लगते हैं क्योंकि इस समय सुप्त देवताओं में सूर्य प्राण वायु बनकर जीवन को संचालित करते हैं। मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का खास महत्व है।
लोग इस दिन पवित्र स्थानों पर स्नान कर सूर्य देव को अर्ध्य देते हैं। ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को राजपक्ष अर्थात सरकारी क्षेत्र एवं अधिकारियों का कारक ग्रह बताया गया है। व्यक्ति कि कुंडली में सूर्य बलवान होने से उसे सरकारी क्षेत्र में सफलता एवं अधिकारियों से सहयोग मिलता है। करियर एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में उन्नति के लिए भी सूर्य की अनुकूलता अनिवार्य मानी गई है।
यह ध्यान रहे कि सूर्य भगवान की आराधना का सर्वोत्तम समय सुबह सूर्योदय का ही होता है। आदित्य हृदय का नियमित पाठ करने एवं रविवार को तेल, नमक नहीं खाने तथा एक समय ही भोजन करने से भी सूर्य भगवान कि हमेशा कृपा बनी रहती है।
इस मंत्र जाप से अाप भगवान सूर्य की अपार कृपा पा सकते हैं।