मकर संक्रांति: गाजे-बाजे के साथ निकलेंगे रूठों को मनाने

मकर संक्रांति: गाजे-बाजे के साथ निकलेंगे रूठों को मनाने

रूठे हैं तो आज मना लेंगे, देके खिलौना बहला लेंगे। ‘ज्वार भाटा’ फिल्म का यह गीत आज भी जिले की 100 साल पुरानी एक परंपरा पर सार्थक बैठता है। देहात क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर रूठों को मनाने की परंपरा चली आ रही है। नवविवाहित महिलाएं अपने से बड़ों को शॉल, चादर और कपड़े देकर उनका सम्मान करती हैं। रूठों को मनाने के लिए गांव में ढोल, गाजे-बाजे के साथ टोली निकलती है। जलेबी और चने के साग के साथ देर रात तक त्योहार सेलिब्रेट किया जाता है।मकर संक्रांति: गाजे-बाजे के साथ निकलेंगे रूठों को मनाने

महिलाएं दान करने की परंपरा का निर्वाह करते हुए मायके से कपड़े, जूते, शॉल, कंबल और उपहार मंगाती हैं। गांव में इस पर्व को मनाने के लिए महिलाएं ढोल और बाजे पर नृत्य और गीत गाते हुए रूठे लोगों तक जाती हैं। रूठे हुए जिस व्यक्ति को मनाना होता है, वह घर से दूर सार्वजनिक स्थल पर बैठ जाता है। महिलाएं वहां जाकर उन्हें दान स्वरूप कपड़े, खिलौने और मिठाई आदि खिलाकर घर वापस लाती हैं। हर घर में स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक गीत गाकर माहौल को सुहाना बना देती हैं।
मकर संक्रांति के दिन वधुओं द्वारा बुजुर्गों का सम्मान करने की परंपरा करीब 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। बुजुर्गों के सम्मान के साथ ही इस दिन नदियों में मकर संक्रांति पर स्नान भी करते हैं। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तरायण की ओर आ जाते हैं तथा उसके बाद लोग कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। हालांकि इसके बारे में सटीक रूप से यह तो कोई भी नहीं बताता कि यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, लेकिन कई पीढ़ियों से इस परंपरा को लोग निभाते आ रहे हैं। अब भी इस परंपरा को निभाने के लिए कई दिन पहले से तैयारी होती है। किसी भी घर में जब भी कोई विवाह होता है तो नवदंपती इस परंपरा को जरूर निभाता है। 
चांदहट के ज्योतिषाचार्य पंडित जयपाल शास्त्री का कहना है कि जिस प्रकार माघ में तीर्थ स्नान का बहुत महत्व है, उसी प्रकार दान का भी विशेष महत्व है। इन माह में दान में तिल, गुड़ और कंबल या ऊनी वस्त्र दान देने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों में वर्णित है कि इस माह में पूजन-अर्चन व स्नान करने से नारायण को प्राप्त किया जा सकता है तथा स्वर्ग की प्राप्ति का मार्ग भी खुलता है। जीवनदायिनी नदियों में स्नान करने से मनुष्य को समस्त पापों से छुटकारा मिलता है। 
 
 

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