भारत तैयार हो रहा है भविष्‍य की जंग के लिए, ‘Indian Space X’आज शुरू हो रहा

भविष्य के युद्ध मैदानों में नहीं होंगे और न ही इनमें बंदूक और तोपों का इस्तेमाल होगा। आने-वाले दिनों की इन जंगों को अंतरिक्ष में लड़ा जाएगा। विशुद्ध तकनीक और उपग्रह आधारित इस जंग में जो विजेता होगा वही दुनिया पर हुकूमत करेगा। स्पेस वार (अंतरिक्ष में जंग) के लिए खुद को तैयार करने के लिए तमाम देश तेजी से जुटे हैं। इस तैयारी में भारत भी पीछे नहीं है। भारत इस आशय का ‘इंडियन स्पेस एक्स’ नामक दो दिवसीय युद्धाभ्यास आज यानी 25 जुलाई से शुरू कर रहा है जिसमें देश की तीनों सेनाएं और मशहूर वैज्ञानिक शामिल होंगे।

ऑपरेशन शक्ति का मतलब
इसी साल 27 मार्च को भारत ने अपने एक सक्रिय सेटेलाइट को धरती से मिसाइल दाग कर मार गिराया था। इसे एंटी सेटेलाइट वीपन (ए-सैट) कहा गया। इस सफल ऑपरेशन ने भारत को स्पेस वार में सक्षम देशों के बरक्स खड़ा कर दिया था।

सिर्फ चार देश ही सक्षम
अंतरिक्ष में मौजूद किसी सेटेलाइट को मार गिराने की क्षमता भारत समेत चार देशों के पास ही है। अमेरिका, रूस और चीन के पास यह तकनीक मौजूद है।

सेटेलाइट के साथ आया विचार
कोई भी नई तकनीक की खोज के साथ उसे कैसे खत्म किया जा सकता है, यह बात भी वैज्ञानिकों के दिमाग में आती है। लिहाजा अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे किसी सेटेलाइट को नष्ट करने का विचार अमेरिकी वैज्ञानिकों के पास स्पुतनिक को छोड़ने के एक साल बाद यानी 1958 में आ गया था। तभी इसने पहला ए-सैट परीक्षण किया, लेकिन विफलता हाथ लगी। शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ ने यह तकनीक विकसित की।

अनुशासन बरकरार
चार देशों के पास ही यह क्षमता है कि वे अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे किसी देश के सेटेलाइट को पल में तबाह कर दें। लेकिन अब तक ऐसा किसी ने नहीं किया है। सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ये चारों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं। अगर भूल से भी ऐसी घटना होती है तो दुनिया के सामने बहुत भयावह स्थिति होगी।

अमेरिका बहुत आगे
अमेरिका ने तो ऐसे एंटी सेटेलाइट वीपन या मिसाइल तैयार कर लिए हैं जिसे लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकता है। इनमें परमाणु मिसाइलें भी शामिल हैं। चीन ने अपना पहला ए-सैट परीक्षण 2007 में अंजाम दिया।

बड़े काम के सेटेलाइट
हमारे रोजमर्रा के ज्यादातर काम आज सेटेलाइट के बूते चल रहे हैं। आवागमन हो, संचार हो, मौसम या मनोरंजन। सैन्य गतिविधियां भी इसी सेटेलाइट पर आश्रित हैं। ऐसे में दुश्मन देश के सेटेलाइट को निशाना बनाकर उसे घुटने टेकने पर विवश किया जा सकता है। उसके लड़ाकू विमान, युद्धपोत, मिसाइल जखीरा सब खड़े के खड़े रह जाएंगे। उसका वह इस्तेमाल ही नहीं कर सकेगा।

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