दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. अमेरिका, इटली और ब्रिटेन जैसे देश इस वायरस से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इन देशों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. भारत में भी कोरोना वायरस के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी बीच भारत में कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने वाली ऐसे पहली कंपनी सामने आई है जिसे भारत सरकार ने पैसा दिया है.
दरअसल, कोरोना की वैक्सीन पर काम के लिए भारत सरकार ने देश के ही एक स्टार्टअप को इसका जिम्मा दिया है. इस तरह से ये कंपनी देश की पहली कंपनी बन चुकी है, जिसे कोरोना वायरस का टीका खोजने के लिए सरकार की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिला है. उम्मीद की जा रही है कि यह वैक्सीन बनाने में सफल होगी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये कंपनी पुणे में स्थित है. इसका नाम Seagull BioSolutions है. ये स्टार्टअप कंपनी बायोलॉजिकल तकनीक पर काम करती है. इस कंपनी ने Active Virosome प्लेटफॉर्म तैयार किया है. ये वो प्लेटफॉर्म है, जिसकी मदद से पैथोजन से लड़ने के लिए एंटीजन यानी दवाएं तैयार की जा सकती हैं. उम्मीद है कि इसी प्लेटफॉर्म के जरिए कोरोना वायरस के खात्मे के लिए प्रभावी टीका बनाया जा सकता है. इस कंपनी ने कहा है कि यह देशी तरीके से बनी एक तकनीक है, जिसमें मूल तौर पर नैनो मॉलिक्यूल होंगे जो किसी भी प्रोटीन की तरह क्रिया कर सकते हैं. इससे पहले भी दूसरे वायरसों पर इस तकनीक ने काम किया है.
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कंपनी वैक्सीन के साथ ही साथ कोरोना की जांच के लिए किट तैयार करने की कोशिश में भी है. ये किट कोरोना के उन मरीजों के लिए तैयार की जा रही है, जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. मुख्य तौर पर 3 तरह की टेस्ट किट तैयार की जा रही हैं. एक किट जिसे LFA टेस्ट किट कहते हैं, वो इस तरह बनाने की कोशिश है कि लोग खुद ही अपना टेस्ट कर सकें.
बता दें कि दुनियाभर के तमाम देश कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं. वैक्सीन तैयार न होने के कारण फिलहाल डॉक्टरों और उनसे सहयोगी स्टाफ नर्स आदि की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है. चूंकि अभी वैक्सीन नहीं ढूंढी जा सकी है, इसलिए ऐसे मामलों में सतर्कता ही एकमात्र उपाय है. अलग-अलग देश यह दावा कर रहे हैं कि उनके यहां वैक्सीन बन रही है. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों दावा किया था कि उनकी वैक्सीन ने उस स्तर की ताकत हासिल कर ली है, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण को मजबूती से रोका जा सके.
वहीं कोरोना वायरस से परेशान चीन ने 17 मार्च को कोरोना वायरस कोविड-19 के लिए बनाई गई वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू किया था. यानी इंसानों पर परीक्षण शुरू किया था. ये सारे परीक्षण चीन के वुहान शहर में शुरू किए गए थे.
वैक्सीन के परीक्षण के बाद देखा गया कि जिन 14 लोगों को घर भेजा गया है, अब उन्हें छह महीने तक मेडिकल निगरानी में रखा जाएगा. हर दिन उनका मेडिकल टेस्ट होगा. इन 6 महीनों में यह देखा जाएगा कि अगर इन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होता है तो इनका शरीर कैसी प्रतिक्रिया देता है. इधर भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. वायरस से संक्रमित मरीजों की तादाद 8300 के पार पहुंच चुकी है. ये आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं.