सनातन धर्म में कालाष्टमी (Kalashtami 2024) का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर साधक काल भैरव देव की उपासना करते हैं। तंत्र विद्या सीखने वाले साधकों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव देव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा (Lord Shiv Puja Vidhi) की जाती है। साथ ही अति विशेष कार्य में सफलता पाने के लिए साधक काल भैरव देव के निमित्त कालाष्टमी का व्रत रखते हैं। इस दौरान साधक काल भैरव देव की कठिन भक्ति करते हैं। भक्तों की कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर काल भैरव देव उन्हें मनोवांछित फल देते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव संग काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है। आइए, भाद्रपद माह की कालाष्टमी की तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को देर रात 03 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 27 अगस्त को देर रात 02 बजकर 19 पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। हालांकि, काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। अतः 26 अगस्त को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण दिवस भी मनाया जाएगा।
कालाष्टमी शुभ योग (Kalashtami Shubh Yog)
भाद्रपद माह की कालाष्टमी पर हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग देर रात 10 बजकर 18 मिनट से है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग पूर्ण रात्रि है। इस समय में भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां गौरी के साथ रहेंगे। इन योग में महादेव की पूजा करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाएंगे।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 56 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 49 मिनट पर
चंद्रोदय- रात 11 बजकर 20 मिनट पर
चंद्रास्त- दिन 12 बजकर 58 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 12 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक