मध्य प्रदेश में कांग्रेस वापसी करेगी या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जादू इस बार भी चलेगा और वह लोगों के दिलों पर फिर से राज करेंगे. बहरहाल इस सवाल का जवाब आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजों से ही साफ हो पाएगा, जो इस साल के अंत तक होने हैं.
मगर इससे पहले, राज्य के कोलारस और मुंगावली में होने वाले विधानसभा उपचुनावों के परिणाम मध्य प्रदेश में इस बात का अहसास जरूर करा देंगे कि आगामी चुनावों का रुख क्या होगा. कोलारस और मुंगावली विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन क्षेत्र में आते हैं. इन दोनों सीटों पर 24 फरवरी को मतदान होने हैं और वोटों की गिनती 28 फरवरी को होगी.
सिंधिया बने चुनौती
सिंधिया इन उप-चुनावों के परिणामों के जरिये मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोकने की ताक में हैं, लिहाजा वह कांग्रेस उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं और उनका यही प्रयास शिवराज सिंह चौहान और उनकी पार्टी भाजपा के लिए मुश्किल बना हुआ है. साथ ही इन समीकरणों की वजह से यह चुनाव दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी बना हुआ है.
सिंधिया इन चुनावों के लिए प्रचार की कमान खुद संभाल रहे थे और मौका मिलते ही शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साध रहे थे. सिंधिया ने व्यापम घोटाले से लेकर मध्य प्रदेश में किसानों के मुद्दों पर चौहान को लगातार घेरा.
हाल ही में चित्रकूट उपचुनाव में शिकस्त खाने के बाद दूसरे उपचुनाव में जाने के अलावा शिवराज सिंह चौहान के पास कोई विकल्प नहीं बचा था और वह इस तरह आसानी से सिंधिया के चुनावी कौशल के जाल में फंसे हुए नजर आए.
शिवराज सिंह चौहान का संकट
शिवराज सिंह चौहान की मुश्किल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोलारस और मुंगावली में चुनाव प्रचार के लिए उन्होंने अपनी पूरी कैबिनेट मैदान में उतार दी, यहां तक कि ज्योतिरादित्य की बुआ यशोधरा राजे को भी चुनाव प्रचार में उतार दिया . जबकि सिंधिया खानदान की अभी तक रवायत रही है कि चुनाव मैदान में परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ किसी को नहीं उतरना है और न ही प्रचार करना है. पर मुश्किल में फंसे चौहान यशोधरा राजे से यह परंपरा तुड़वा चुके हैं.
शिवराज सिंह चौहान ने खुद ही कई दिनों तक इन दोनों विधानसभाओं में डेरा जमाए रखा और ताबड़तोड़ कई रैलियां और रोड शो किए. इससे यह पूरा चुनाव सिंधिया बनाम शिवराज हो गया है.
इसलिए कराना पड़ा उपचुनाव
कोलारस और मुंगावली विधानसभा सीट कांग्रेस के पास थी, लेकिन इन विधायकों के निधन से ये दोनों सीटें खाली हो गईं और इसकी वजह से यहां चुनाव कराना जरूरी हो गया और न चाहते हुए भी शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव से पहले ही मैदान में उतरना पड़ा. कोलारस से कांग्रेस के महेंद्र सिंह यादव चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि भाजपा ने देवेंद्र जैन को मैदान में उतारा है.
कांग्रेस का दबदबा
2013 में देवेंद्र जैन बीजेपी के टिकट पर कांग्रेस के राम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़े लेकिन उन्हें 25,000 से ज्यादा वोटों से शिकस्त खानी पड़ी थी. इसी तरह मुंगावली में कांग्रेस ने ब्रजेंद्र सिंह यादव को टिकट दिया है और उनके खिलाफ बीजेपी से भाई साहब यादव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. 2013 के चुनाव में कांग्रेस के महेंद्र सिंह कुलुखेड़ा ने करीब 22,000 वोटों से जीत दर्ज की थी.
बताते चले कि गुना लोकसभा क्षेत्र पर पारंपरिक तौर पर कांग्रेस और खासकर सिंधिया परिवार दबदबा रहा है, ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले उनके दिवंगत पिता माधवराव सिंधिया इस सीट से लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.