प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी विभाग में अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के मामले में दो आइएएस अफसरों द्वारा एक-दूसरे के फैसले को पलटने से मामला पेचीदा होता जा रहा है। चार साल पहले शुरू हुआ यह मामला चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह के पास भी पहुंच गया है और कार्मिक विभाग ने इस मामले में प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी विभाग से जवाब मांगा है।
विभाग के सचिव जंजुआ ने किया था खारिज जिससे मंत्री भी थे सहमत, लेकिन लद्दड़ ने दी मंजूरी
काबिले गौर है कि 2015 में प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी विभाग के एक कर्मचारी अशोक कुमार चावला का निधन होने पर उनके बेटे रितेश चावला ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी की मांग की। चूंकि दिवंगत कर्मचारी की पत्नी रंजीता चावला भी सरकारी नौकरी में थीं, इसलिए विभाग के सचिव वीके जंजुआ ने इस केस को अनफिट पाते हुए 18 दिसंबर 2015 को केस रिजेक्ट कर दिया। उन्होंने लिखा कि परिवार की वित्तीय स्थिति ठीक है, इसलिए अनुकंपा के आधार पर नौकरी देना नहीं बनता। संबंधित विभाग के मंत्री ने भी विभागीय सचिव के साथ सहमति जताई और केस को फाइल कर दिया।
परिवार ने 20 सितंबर 2016 को फिर से विभाग से नौकरी की गुहार की जिसे कार्मिक विभाग को भेजकर उनसे राय मांगी गई। कार्मिक विभाग ने कहा कि हिदायतों में साफ लिखा है कि अगर परिवार की वित्तीय हालत खराब है तो नौकरी देनी बनती है। विभागीय सचिव इस पर कोई भी फैसला लेने को स्वतंत्र हैं।
सरकार बदलते ही परिवार ने एक बार फिर से यह कहते हुए नौकरी लेने की मांग की कि परिवार पर 6.45 लाख रुपये का कर्ज चढ़ गया है। इस दौरान विभाग के सेक्रेटरी वीके जंजुआ मिड टर्म कॅरियर लीव पर चले गए और उनकी जगह चार्ज एसआर लद्दड़ को मिल गया। फाइल कभी इधर तो कभी उधर दफ्तरों में ही चक्कर काटती रही।
कार्मिक विभाग की राय आते ही लद्दड़ ने दी मंजूरी
कार्मिक विभाग ने 22 जून 2018 को एक बार फिर से अपनी राय देते हुए केस वापस भेज दिया। एसआर लद्दड़ ने उसी दिन नियुक्ति के लिए मंजूरी दे दी। विभागीय सूत्रों का कहना है कि लद्दड़ जानते थे कि 23 जून को वीके जंजुआ अपना विभाग फिर से ज्वाइन कर लेंगे, ऐसे में जिस दिन कार्मिक विभाग ने अपनी राय भेजी उसी दिन लद्दड़ ने भी मंजूरी दे दी। डिवीजनल कमिश्नर रहते हुए एसआर लद्दड़ ने जब ऑर्बिटरी फीस ली थी तब भी वह विवादों में आ गए थे। यह मामला हाईकोर्ट में चला गया था और कोर्ट ने फीस लौटाने का आदेश दिया था।
चीफ सेक्रेटरी ने मांगा जवाब
जंजुआ ने जब विभाग को फिर से ज्वाइन कर लिया तो उन्होंने इस पर काफी नाराजगी व्यक्त की कि जिस केस को मंत्री स्तर पर रिजेक्ट किया जा चुका है उसे फिर से खोलकर उनकी गैरहाजिरी में नौकरी क्यों दी गई? उन्होंने 16 जनवरी 2019 को इस मामले की जांच के लिए चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह को पत्र लिखा। पता चला है कि इस मामले पर चीफ सेक्रेटरी ने जवाब मांग लिया है।