गुजरात के बारदोली स्थित में गोविंदाश्रम मंदिर के पुजारी को उनकी बेटी ने अपना लीवर देकर पिता को नया जीवन दिया। लाडली ने पिता की जान बचाकर समाज में अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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कहा जाता है कि बेटी को पिता के प्रति सबसे ज्यादा लगाव होता है। पिता को दुखी देख उनकी लाडली कभी खुश नहीं रहती। बारदोली में भी एक बेटी ने अपने पिता को मौत के मुंह से बचाई। जयेश पंडया पिछले 30 सालों से गोविंदाश्रम में पुजारी है। जयेश लंबे समय से लीवर की बीमारी से त्रस्त थे। काफी उपचार के बाद भी उनकी लीवर की बीमारी ठीक नहीं हुई थी। इस दौरान चिकित्सकों ने पुजारी को लीवर ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प बताया। लीवर ट्रांसप्लांट के लिए लीवर डोनर और इलाज के लिए पैसे परिवार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।
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मंदिर ट्रस्ट से मदद का आश्वासन मिलने पर लीवर डोनर की खोजबीन शुरू की गई, लेकिन परिजनों को लीवर डोनर नहीं मिल सका। पिता की हालत देख पुजारी पुत्री हिरल लीवर का हिस्सा देने के लिए तैयार हो गई। वहीं जयेश अपनी लाडली की जान जोखिम में डालने से मना कर दिया। बेटी की जिद्द के सामने पिता को झुकना पड़ा। चिकित्सकीय जांच के बाद पिता और बेटी को मुंबई की ग्लोबल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां लाडली ने लीवर का एक हिस्सा देकर पिता का नया जीवन दिया। ऑपरेशन सफल रहने पर परिजनों और मंदिर ट्रस्ट ने राहत की सांस ली। पुजारी जयेश की पुत्री हिरल फार्मसी में पढ़ाई करती है।