जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में बुड़ैल जेल की विशेष अदालत ने जगतार सिंह तारा को दोषी करार दिया है। तारा को अदालत ने कल यानी शुक्रवार को दोषी करार दिया था। उसकी सजा पर फैसला आज सुनाया जाएगा। तारा के खिलाफ धारा 302, 307, 120 बी और आम्र्स एक्ट 3, 4 के तहत केस दर्ज किया गया था।
21 साल से पैरवी कर रहे सरकारी वकील एसके सक्सेना ने बताया कि केस में 200 से अधिक विटनेस को एग्जामिन किया गया। तारा ने कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 313 के तहत अपना बयान दर्ज करवाने के समय स्वीकार किया था कि उसने ही वारदात में शामिल कार खरीदी थी। उसने दिल्ली निवासी से कार खरीदते समय खुद की पहचान वसन सिंह के नाम से करवाई थी और इसी नाम के साथ हस्ताक्षर भी किए थे। उसने इस तथ्य को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश जेएस सिद्धू की अदालत में भी स्वीकार किया था।
छह दोषियों को 2007 में सुनाई गई थी सजा
इस केस के 9 आरोपितों में से 6 को 27 जुलाई 2007 को तत्कालीन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवि कुमार सोंधी ने दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी। इनको हत्या, हत्या के प्रयास, आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश रचने और एक्सप्लोजिव एक्ट की धारा 4, 5 व 6 के तहत दोषी पाया गया था।
सजा पाने वालों में जगतार सिंह हवारा, शमशेर सिंह, लखविंदर सिंह, नसीब सिंह, बलवंत सिंह और गुरमीत सिंह शामिल थे। इसी के साथ इस हत्याकांड में दोषी पाए गए बलवंत सिंह राजोआणा को पटियाला जेल में 31 मार्च 2012 को फांसी देने के लिए अदालत ने वारंट जारी किए थे। हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी।
वहीं, नसीब सिंह को एक्सप्लोजिव एक्ट की धारा-5 में दोषी पाया गया था। इसके अलावा नवजोत सिंह को बरी कर दिया गया था। वर्ष 2004 में बुड़ैल जेल ब्रेक कर फरार हुए परमजीत सिंह भ्यौरा को बाद में सजा हुई थी, जबकि तारा भी 2004 में बुडैल जेल की सुरंग खोदकर साथियों के साथ भाग गया था, लेकिन 2015 में उसे थाइलैंड से पकड़ा गया था। इसके बाद उसके खिलाफ केस में अधूरा रहा ट्रायल फिर से शुरू हुआ था।
क्या था मामला
पंजाब सिविल सचिवालय की बिल्डिंग के पास 31 अगस्त 1995 को हुए बम ब्लास्ट में पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की मौत हो गई थी। ब्लास्ट में करीब 17 अन्य लोग भी मारे गए थे। यह आत्मघाती हमला केएलएफ के दिलवार सिंह जयसिंहवाला ने किया था। विस्फोट में उसकी भी मौत हो गई थी। इस मामले में अन्य आरोपितों को भी दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जा चुकी है लेकिन तारा अभी तक आरोपित ही कहलाया जा रहा था।