वो सीमा पर हमारी रक्षा करता है। उसके लिए रात कुछ नहीं दिन कुछ नहीं अगर कुछ है तो अपना देश और उसके देशवासी। सिचायिन की जानलेवा ठंड भी उसके हौंसले कम नहीं कर पाती है।
खेत में किसान सीमा पर जवान का नारा लगा है इस देश में लेकिन क्या वो नारा अभी तक कायम है। एक जवान ने सेना के अंदर भ्रष्टाचार का भंडाफोड कर दिया है जिससे ये सवाल खड़ा हो रहा है कि भ्रष्टाचारी आखिर कब बाज आएंगे। उनकी शर्मनाक करतूत से भारत के रखवाले भी खाने के लिए तरस रहे हैं।
आज हम एक ऐसे जवान का दर्द आपको बता रहे हैं जिसे अपने अधिकारियों से खतरा है। उसने अपने अधिकारियों पर एक बड़े घोटाले का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर उसका दर्द काफी वायरल हो रहा है। अब तक दो लाख से अधिक लोगों ने इसे शेयर किया है।
देश का एक सपूत अपने ही अधिकारियों से अपनी जान को खतरा बता रहा है और डर की वजह रोटी का एक टुकड़ा है। बीएसएफ के अधिकारियों पर खाने में घोटाले का आरोप लगाते हुए तेज बहादुर यादव ने सबूत जुटाने के लिए स्टिंग ऑपरेशन भी किया है।
खास बात है कि अपने कैंप के खाने पीने में हो रहे कथित घोटाले के लिए तेज बहादुर केवल अपने अधिकारियों पर आरोप लगा रहा है, सरकार या सेना प्रशासन पर नहीं। रोटी के एक टुकड़े और दाल के नाम पर हल्दी पानी का ये मसला उस समय और गंभीर हो जाता है जब आपको पता चलेगा कि तेज बहादुर को कहां और किस हालत में अपनी ड्यूटी निभानी पड़ती है। तेज बहादूर कहते हैं कि देशवासियों मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं. हम लोग सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक, लगातार 11 घंटे इस बर्फ में खड़े होकर ड्यूटी करते हैं। कितना भी बर्फ हो, बारिश हो, तूफान हो, इन्हीं हालातों में हम ड्यूटी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर अपने संदेश को डालते हुए तेज बहादुर ने अपील की है कि उसके दर्द को देश समझे।
यादव वीडियो में आगे कहते हैं, ‘हम किसी सरकार के खिलाफ आरोप नहीं लगाना चाहते. क्योंकि सरकार हर चीज, हर सामान हमको देती है। मगर उच्च अधिकारी सब बेचकर खा जाते हैं, हमारे को कुछ नहीं मिलता. कई बार तो जवानों को भूखे पेट सोना पड़ता है।’ बीएसएफ की तरफ से कहा गया कि बीएसएफ अपने जवानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्पर रहता है.।अगर किसी एक शख्स को कोई परेशानी हुई है तो इसकी जांच होगी। इस मामले की जांच के लिए एक उच्च अधिकारी मौके पर पहुंच चुका है। बीएसएफ की जांच का इंतजार देश को रहेगा। साथ ही ये उम्मीद भी कि न्याय मांग रहे इस सैनिक की आवाज को अनुशासन के नाम पर दबाया नहीं जाएगा. वैसे भी अपने ही अधिकारियों से खुद को खतरा बताकर तेज बहादुर ने कई अनसुलझे सवाल खड़े कर दिए हैं।