पटना, बिहार विधान परिषद चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने कांग्रेस को आईना दिखा दिया है। पिछले हफ्ते भर से लालू प्रसाद यादव एवं तेजस्वी यादव से मुलाकात के लिए दिल्ली में डेरा जमाए बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा की आरजेडी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात नहीं हो सकी। विदेश से लौटने के साथ ही तेजस्वी ने साफ कर दिया कि वह बिहार में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं देने जा रहे हैं। दिल्ली में मीडिया से बातचीत में तेजस्वी ने कहा कि कांग्रेस के साथ उनका गठबंधन केंद्र में है। बिहार में अभी ऐसा कोई चुनाव नहीं है। दो सीटों पर उपचुनाव में आरजेडी गठबंधन करने के लिए तैयार था, लेकिन कांगेस से सकारात्मक सहयोग नहीं मिला। तेजस्वी ने यह भी साफ कर दिया कि वामदलों के साथ मिलकर उन्होंने विधान परिषद चुनाव में प्रत्याशी पहले ही तय कर दिए हैं। आरजेडी और वाद मल अपने दम पर विधान परिषद चुनाव लड़ेंगे।
अंतिम प्रयास में जुटे रहे लालू, कांग्रेस नेताओं से की मुलाकात
बताया जाता है कि सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अंतिम प्रयास कर लिया है। लालू बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुलाकात कर चुके हैं। अब बिहार कांग्रेस के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मिलकर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। ऐसे में एमएलसी चुनाव में भी आरजेडी व कांग्रेस अलग-अलग ताल ठोकते नजर आएंगे, यह तय हो गया है। इस बीच आरेजडी ने कई सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इनमें कुछ ऐसी सीटें भी हैं, जिनपर कांग्रेस दावा कर रही है।
कांग्रेस का छह सीटों पर दावा, जानिए पार्टी का फार्मूला
बिहार में जुलाई 2021 से विधान परिषद की 24 सीटें रिक्त हैं। इनमें स्थानीय निकाय प्राधिकार क्षेत्र से कार्यकाल पूरा करने वाले 19 विधान पार्षद हैं तो तीन विधान पार्षद चुनाव लड़कर विधायक बन चुके हैं। दो सीटें विधान पार्षदों के निधन से खाली हो गईं हैं। पिछली बार 24 सीटों पर महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रस और जेडीयू ने मिलकर लड़ा था। आरजेडी व जेडीयू ने 10-10 सीटों पर तो कांग्रेस ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था।
- कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने सीट शेयरिंग फॉर्मूला का सुझाव देते हुए कहा था कि महागठबंधन छोड़ चुके जेडीयू कोटे की 10 सीटें महागठबंधन के सभी घटक दल आपस में बांट लें।
- विधानसभा में कांग्रेस के पास 19 सीटें हैं। इस आधार पर सीट शेयरिंग के तहत कांग्रेस का 20 प्रतिशत सीटों पर दावा था, जो विधान परिषद में दो सीटें होती हैं। सीटिंग चार सीटों को जोड़ कर कांग्रेस कुल छह सीटें मांग रही थी।