पटना,देश के तमाम हिस्सों के साथ ही बिहार में भी कोरोना के मामले रोजाना डेढ़ से दोगुना की रफ्तार से बढ़ने लगे हैं। ऐसे हालात में राज्य सरकार पर सख्ती बढ़ाने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में एडवाइजरी सभी राज्य सरकारों को जाहिर की है, जिसके बाद कहीं स्कूल बंद करने तो कहीं नाइट कर्फ्यू जैसे फैसले लिए जा रहे हैं। बिहार में संक्रमण की बेकाबू होती रफ्तार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कह दिया है कि हालात तीसरी लहर जैसे ही हैं। ऐसे में पूरी उम्मीद है कि राज्य में कोविड गाइडलाइन में सख्ती बढ़ सकती है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने इसके संकेत भी दिए थे।
पांच जनवरी तक लागू है पुरानी गाइडलाइन
बिहार में फिलहाल पांच जनवरी तक अनलाक की पुरानी गाइडलाइन लागू है। इसमें नव वर्ष 2022 के उत्सव के ठीक पहले बड़ा संशोधन किया गया था। इसके तहत 30 दिसंबर से दो जनवरी तक के लिए राज्य के सभी पार्क और चिड़ियाघरों को बंद कर दिया गया था। बगैर अनुमति के सार्वजनिक आयोजनों पर रोक लगा दी गई थी। उम्मीद है कि सोमवार को आपदा प्रबंधन समूह की बैठक होगी। इसमें स्कूल, पार्क, रेस्तरां, सार्वजनिक स्थलों आदि को लेकर नई गाइडलाइन जारी हो सकती है।
जानिए नई गाइडलाइन में क्या हैं आसार
छोटे और मंझले निजी स्कूल फिलहाल कक्षाएं बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। अगले कुछ ही दिनों में बच्चों की परीक्षाएं होनी हैं। इसे देखते हुए बहुत से लोग चाहते हैं कि स्कूल फिलहाल खुले रहें। छोटे और मंझले स्कूलों को स्कूल बंद होने पर छात्रों के इधर-उधर जाने का डर रहता है और फी मिलने में भी समस्या होती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि फिलहाल राज्य में हालात उतने अधिक बुरे नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा था कि सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। तब से अब तक हालात अधिक खराब हो चुके हैं। यह भी संभव है कि सरकार कोविड गाइडलाइन की बजाय शीतलहर और ठंड के मौसम का हवाला देकर कुछ दिनों के लिए स्कूलों को बंद कर दे। अगले दो से तीन दिनों में राज्य में न्यूनतम तापमान गिरने की संभावना पटना के मौसम विज्ञान केंद्र ने जताई है।
लाकडाउन की आशंका बिल्कुल नहीं
फिलहाल लाकडाउन जैसी बंदिशों की आशंका नहीं के बराबर है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन में भी ऐसी कोई बात नहीं है। दूसरे राज्यों में भी ऐसी बंदिशें फिलहाल नहीं हैं, जहां कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन कहर बरपा रहा है। सरकार को जरूरी लगता है तो नाइट कर्फ्यू का फैसला जरूर लागू कर सकती है। हालांकि, संक्रमण रोकने में यह कितना कारगर होगा, कहना मुश्किल है। ऐसा इसलिए कि फिलहाल ठंड के कारण रात होते ही सड़कें स्वत: सूनी हो जा रही हैं। नाइट कर्फ्यू में भी रेल, बस और एयरपोर्ट के यात्रियों के अलावा आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को छूट देनी ही पड़ती है।