इससे यह संकेत मिलता है कि बीजेपी आलाकमान भी बिप्लब को सीएम की कुर्सी पर बिठाने का लगभग मन बना चुका है. साथ ही त्रिपुरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों को कामयाब बनाने में वह चुपचाप पर्दे की पीछे से अपना काम करते रहे. कम बोलने वाले और अपने काम पर ध्यान रखने वाले बिप्लब की पहचान बीजेपी में कर्मठ नेता की है. राज्य के जनजातीय इलाकों में इन्होंने भाजपा के लिए खूब काम किया.

पिछले साल अगस्त में बेहद चतुराई का परिचय दिया

राज्य की राजनीति में लौटने के बाद पिछले साल अगस्त में इन्होंने बेहद चतुराई का परिचय दिया. राज्य में तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पार्टी के बड़े नेता सुदीप राय बर्मन को उनके समर्थक विधायकों के साथ भाजपा के खेमे में लाने में अहम भूमिका निभाई. 1999 में त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट बिप्लब के खिलाफ कोई भी आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज है. ग्रेजुएशन के बाद बिप्लब उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गए. यहां उन्होंने एक जिम ट्रेनर के रूप में काम भी किया. वह करीब 15 सालों तक दिल्ली में रहने के बाद फिर अपने गृह राज्य लौट गए.

बिप्लब ने नामांकन पत्र के साथ दिए ऐफिडेविट में अपनी संपत्ति मात्र 2,99,290 रुपये बताई थी. साफ छवि वाले बिप्लब कुमार शुरुआत दिनों से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं. आरएसएस के वरिष्ठ नेता के. एन. गोविंदाचार्य के साथ काम कर चुके बिप्लब लंबे समय से संगठन में काम कर चुके हैं. 48 वर्षीय बिप्लब साल 2018 में पहली बार चुनाव लड़े हैं. विप्लव की पत्नी बैंक में कार्यरत हैं.