नाटो शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस से सतर्क करते हुए भी सभी नाटो के सदस्य देशों से औद्योगिक आधार मजबूत करने के लिए कहा है। बाइडन ने कहा कि रूस काफी तेजी से अपने रक्षा उत्पादन पर काम कर रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइड ने नाटो के देशों से अपना औद्योगिक आधार मजबूत करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि रूस अब रक्षा उत्पादन को लेकर काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
नाटो शिखर सम्मेलन में संबोधित करते हुए बाइडन ने कहा कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने अपनी रक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने की योजना शुरू की थी। इसलिए आज हमको खुद से सवाल करना होगा कि अब हम आगे क्या कर सकते हैं। हम खुद को और कैसे मजबूत कर सकते हैं। इसका जवाब निकलकर आता है कि हमको अपना औद्योगिक आधार मजबूत करना होगा।
‘चीन, उत्तर कोरिया, ईरान रूस की मदद कर रहे’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘रूस इस वक्त रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। रूस हथियारों, युद्ध सामग्री और वाहनों में तेजी से काम कर रहा है। उसको चीन, उत्तर कोरिया और ईरान की मदद मिल रही है। अब हमको भी इस नाटो गठबंधन को पिछड़ने नहीं देना है।’
बाइडन बोले- मुझे खुशी है कि हम अपना औद्योगिक आधार मजबूत करने का संकल्प ले रहे
बाइडन ने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि हम सभी नाटो सदस्य हम यहां अपने औद्योगिक आधार और अपनी क्षमता का विस्तार करने का संकल्प ले रहे हैं। यह हमारी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक जरूरी कदम है। ऐसा पहली बार हुआ है कि हर एक नाटो देश स्वदेशी रक्षा उत्पादन की योजना बनाने का वचन दे रहा है।
अमेरिका में 38 देशों के नेता जुटे
पहले नाटो शिखर सम्मेलन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के लिए 38 विभिन्न देशों के नेता वाशिंगटन में एकत्र हुए हैं। इसमें यूक्रेन, जापान, न्यूजीलैंड और कोरिया गणराज्य सहित सभी नाटो सहयोगियों के साथ-साथ नाटो साझेदारों के नेता भी शामिल हैं।
नाटो सदस्यों में सबसे कम योगदान वाला देश कनाडा
अमेरिकी मीडिया संगठन ‘पॉलिटिको’ ने कहा कि कनाडा नाटो सैन्य गठबंधन में सबसे कम योगदान देने वाले देशों में से एक बन गया है। वह घरेलू सैन्य खर्च लक्ष्य पूरे करने में नाकाम रहा, नए उपकरण खरीदने के लिए वित्त पोषण में नाकाम रहा और उसके पास इस संबंध में कोई योजना भी नहीं है। ‘पॉलिटिको’ ने कहा, नाटो के 12 संस्थापक सदस्यों में से एक कनाडा ने रक्षा पर 2% का जीडीपी खर्च करने के संकल्प पर 2014 में हस्ताक्षर किए थे। लेकिन नाटो सदस्यों की इस लक्ष्य को हासिल करने में धीमी प्रगति रही है।