सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
अर्थात: 1. कोणस्थ, 2. पिंगल, 3. बभ्रु, 4. कृष्ण, 5. रौद्रान्तक, 6. यम, 7. सौरि, 8. शनैश्चर, 9. मंद व 10. पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं।
2. शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा विधि-विधान से करें। भागवत के अनुसार पीपल, भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप है। शनि दोषों से मुक्ति के लिए पीपल की पूजा ऐसे करें…
नहाने के बाद साफ व सफेद कपड़े पहनें। पीपल की जड़ में केसर चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें। तिल के तेल का दीपक जलाएं। यहां लिखे मंत्र का जाप करें।
मंत्र: आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
विश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतये गोविन्दाय नमो नम:।
मंत्र जाप के साथ पीपल की परिक्रमा करें। धूप, दीपक जलाकर आरती करें। पीपल को चढ़ाया हुआ थोड़ा-सा जल घर में लाकर भी छिड़कें। ऐसा करने से घर का वातावरण पवित्र होता है।
3. शनिवार के एक दिन पहले यानी शुक्रवार को सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। अगले दिन नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना मछलियों की खिला दें। इस उपाय से शनिदेव के प्रकोप में कमी होती है।
4. शनिवार को श्रद्धापूर्वक शनि यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन इस यंत्र के सामने सरसो के तेल का दीपक जलाएं। नीला या काला फूल चढ़ाएं, ऐसा करने से लाभ होगा। साथ ही इस यंत्र के सामने बैठकर प्रतिदिन शनि स्त्रोत या ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप भी करें।
लाभ
कर्ज, मुकद्दमा, हानि, पैर आदि की हड्डी तथा सभी प्रकार के रोग से परेशान लोगों के लिए शनि यंत्र की पूजा बहुत फायदेमंद होती है। नौकरी पेशा लोगों को उन्नति भी शनि द्वारा ही मिलती है, अत: यह यंत्र बहुत उपयोगी है।
5. शनिवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।