वनांचल में इमली की फसल पर कीट प्रकोप हो गया है। समय रहते रोकथाम नहीं किया गया तो यहां होने वाले करीब 600 करोड़ के इमली कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर नानगूर, सल्फीगुड़ा, नेतानार, मुरमा, बड़ेबोदल के अलावा दरभा क्षेत्र के गांवों में सैकड़ों पेड़ों की इमली कीटग्रस्त नजर आ रही है। इमली में सुराख होने के बाद वह सूख रही है। यहां के ग्रामीण बताते हैं कि काले रंग का कीड़ा कच्ची इमली में सुराख करता है और फल के भीतर अण्डे देने के बाद उड़ जाता है। इस प्रक्रिया के चलते इमली की फसल बड़े पैमाने पर खराब हो रही है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बस्तर में इमली और आम की फसलों को बचाने के लिए कभी दवा आदि का प्रयोग नहीं किया गया, इसलिए इमली में कीट प्रकोप के बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इधर इंदिरा गांधी कृषि अनुसंधान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक भी ग्रामीणों द्वारा उपलब्ध कराए गए इमली में लगे कीट का नाम बता नहीं पाए। वे भी इस कीट को अनआइडेंटीफाइड केटिगिरी में रखे हैं। ग्रामीण फिलहाल इस प्रकोप को कीड़ी धरली ही कह रहे हैं।
कृषि उपज मंडी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बस्तर संभाग में हर साल लगभग 600 करोड़ रुपए का इमली का कारोबार होता है। जगदलपुर मण्डी में ही करीब दो लाख 50 हजार क्विंटल इमली की खरीदी-बिक्री होती है। एक प्रतिशत मंडी शुल्क मिलने पर जगदलपुर मंडी में प्रतिवर्ष इमली से ही छह करोड़ रुपए का अपवंचन होता था।