बलिदानी अग्निवीर भी तो सैनिक, फिर ‘भेदभाव’ क्यों? मां की याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

बांबे हाई कोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू-कश्मीर में सीमा पार गोलाबारी में बलिदान हुए अग्निवीर की मां की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। इस याचिका में कहा गया है कि ऐसे मामलों में एक नियमित सैनिक के परिवार को जो सुविधाएं और लाभ मिलते हैं, वे अग्निवीर के स्वजनों को भी दिए जाएं।

न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे ने रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए अग्निवीर मुरली नाइक की मां की याचिका पर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।

याचिका में नाइक की मां ज्योतिबाई ने दावा किया कि इस योजना के तहत अग्निवीरों और नियमित सैनिकों के बीच बिना किसी ठोस और तर्कसंगत आधार के अलग-अलग वर्ग बनाए गए हैं, जो मनमाने और अनुचित हैं।

नियमित सैनिक की भांति अग्निवीर भी वही काम करते हैं, वैसी ही जिम्मेदारी निभाते हैं और समान जोखिम झेलते हैं, फिर भी उनके परिवारों को दीर्घकालीन पेंशन और अन्य कल्याणकारी लाभों से वंचित किया जाता है।

याचिका के मुताबिक बलिदानी अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि मिलती है, लेकिन नियमित सैनिकों के परिवारों की तरह पेंशन या अन्य सुविधाएं नहीं दी जातीं।

अग्निवीर नाइक की इस साल नौ मई को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना के हमले में मौत हो गई थी। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम में अप्रैल में आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में सेना का शुरू किया गया अभियान था। आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे।

याचिका के अनुसार, नाइक को जून 2023 में भारतीय सेना में भर्ती किया गया था। उनके बलिदान के बाद, याचिकाकर्ता ने कई अधिकारियों को पत्र भेजकर अनुरोध किया कि उनके परिवार को नियमित सैनिकों के परिवारों को दिए जाने वाले समान लाभ दिए जाएं। याचिका में दावा किया गया है कि उन्हें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।

याचिका में कहा गया है कि हालांकि अग्निपथ योजना की वैधता को पूरी तरह चुनौती नहीं दी जा रही है, लेकिन यह ‘भेदभावपूर्ण’ है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

इसमें कहा गया है, ‘इस योजना ने अग्निवीरों और नियमित सैनिकों के बीच बिना किसी स्पष्ट अंतर के मनमाना और अनुचित वर्गीकरण किया है।’

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में सेना, नौसेना और वायुसेना में अल्पकालिक भर्ती के लिए अग्निपथ योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य तीनों सेनाओं की औसत आयु कम करना था।

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