नई दिल्ली उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच बात बिगड़ती दिख रही है। यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी से गठबंधन की खातिर कांग्रेस 100 सीटें और उप-मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि उप-मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के जरिये वह खुद को चुनाव में मजबूत दावेदार दिखाना चाहती है। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले और उसके बाद लोगों को हो रही दिक्कत के चलते चुनाव का प्लॉट बदल गया है।
उनके मुताबिक, बीजेपी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। कांग्रेस का मानना है कि ऐसे में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के लिए वह कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो गई है।
कांग्रेस के एक सीनियर लीडर ने कहा, ‘मुलायम सिंह की पार्टी जानती है कि कांग्रेस को पार्टनर बनाने पर बीजेपी के खिलाफ उसे यादव-मुस्लिम वोटरों को एकजुट करने में मदद मिलेगी। अगर बीएसपी हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो उसे भी दलित-मुस्लिम वोटरों को गोलबंद करने में मदद मिलेगी।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि, अभी हम सिर्फ समाजवादी पार्टी से बात कर रहे हैं।’ पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि अगर कांग्रेस यूपी में अकेले चुनाव लड़ती है तो वह भले ही 100 सीटें ना जीते, लेकिन इससे समाजवादी पार्टी और बीएसपी का खेल खराब हो सकता है। पार्टी इसे बारगेनिंग पावर मान रही है।
राहुल गांधी के नेतृत्व में यूपी में कांग्रेस पार्टी को रिवाइव करने की लंबे समय से चल रही कोशिशें सफल नहीं हो पाई है। ऐसे में पार्टी की प्रदेश इकाई को लग रहा है कि उसे यूपी में बीजेपी को हराने के लिए जोर लगाना चाहिए। इसलिए वह गठबंधन के लिए केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव डाल रही है।
हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस के साथ गठबंधन के बारे में मुलायम सिंह यादव फैसला करेंगे। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाई के नेताओं के साथ परदे के पीछे जो बातचीत चल रही है, मुलायम उसका हिस्सा हैं। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को पहले गठबंधन की बातचीत के लिए समाजवादी पार्टी के पास भेजा था।
9 नवंबर को मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी किसी के साथ अलायंस के लिए बातचीत नहीं कर रही है। हालांकि, इकनॉमिक टाइम्स ने उस दिन खबर दी थी कि कांग्रेस के नेताओं ने उनकी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना पर बातचीत शुरू कर दी है। इस खबर में बताया गया था कि कांग्रेस 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। अभी समाजवादी पार्टी 300 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और बाकी की 100 सीटें कांग्रेस, अजित सिंह की आरएलडी और कुछ छोटी पार्टियों जैसे सहयोगी दलों को देना चाहती है।