उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की अधिसूचना अब कभी भी जारी हो सकती है लेकिन सत्तारुढ़ समाजवादी के मुखिया मुलायम सिंह की पारिवारिक कलह बदस्तूर जारी है।
कल जहां मुलायम सिंह ने उम्मीदवारों की पहली सूची से उन लोगों के नाम काट दिए जो मुख्यमंत्री अखिलेश के करीबी माने जाते हैं वही अखिलेश ने अपने समर्थकों के साथ बैठक की।
इस बैठक के बाद समर्थकों ने दावा किया कि सीएम अखिलेश ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है। समर्थकों ने ये भी दावा किया है कि अखिलेश ने अलग पार्टी बना ली है और वो नई सूची जारी करेंगे।
मुलायम ने 325 उम्मीदवारों का ऐलान इस फरमान के साथ कि किया कि फैसला किसी भी कीमत पर नहीं बदलेगा। बताया जा रहा है कि अखिलेश से वफादारी की वजह से ही इनके टिकट कटे हैं। एक तरफ जहां मुलायम की लिस्ट से अखिलेश के करीबियों के नाम गायब है वहीं शिवपाल ने जिसे चाहा उसे टिकट मिला है। अखिलेश ने 403 लोगों की लिस्ट टिकट के लिए मुलायम को सौंपी थी लेकिन मुलायम ने उस लिस्ट को तरजीह नहीं दी गई।
क्या होगा अखिलेश का अगला क़दम…
अखिलेश के निवास पर हुई बैठक में क्या फैसला हुआ ये फिलहाल पता नहीं चल पाया है। पिछले कई महीने से समाजवादी पार्टी की चर्चा सिर्फ यादव परिवार में मचे घमासान की वजह से हो रही है। बीच-बीच में अखिलेश कभी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का उद्घाटन और कभी एक ही दिन में हज़ारों करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास कर विकास पुरूष की अपने छवि बनाने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन चाचा के साथ छिड़ी जंग रंग में भंग डाल देती है।
अखिलेश ने बाहुबलियों से दूरी बनानी चाही थी लेकिन चली चाचा की
अखिलेश ने इस चुनाव में बाहुबलियों से दूरी बनानी चाही थी, लेकिन चाचा की चाहत भारी पड़ गयी। कानपुर कैंट से अतीक अहमद, मोहम्मदाबाद से सिबगतुल्लाह अंसारी, बलिया से नारद राय, जमनिया से ओमप्रकाश सिंह, अमेठी से गायत्री प्रजापति, बस्ती से राजकिशोर सिंह और बिसवां से रामपाल यादव को टिकट दिया गया वहीं अखिलेश के करीबी बाराबंकी से विधायक अरविन्द गोप और अयोघ्या से मौजूदा मंत्री पवन पांडेय का टिकट काट दिया।
अखिलेश ने भी की चाचा के ख़ास लोगों की लालबत्ती गुल
करीबियों का टिकट कटने पर पलटवार करते हुए अखिलेश ने चाचा के खास राज्यमंत्री का दर्जा पाए दो नेताओं की लालबत्ती छीन ली। लखनऊ से मिली एक खबर के अनुसार अखिलेश ने आवास विकास परिषद की उपाध्यक्ष सुरभि शुक्ला और UP राजकीय निर्माण निगम के सलाहकार डॉ संदीप शुक्ला को हटा दिया है। दोनों की राज्यमंत्री की हैसियत थी। दोनो ही शिवपाल के बेहद करीबी माने जाते हैं।
मुलायम ने कहा है कि गले चार से पांच दिनों में बाकी 78 उम्मीदवारो की भी लिस्ट जारी कर दी जाएगी। टिकट बंटवारे का जैसा आगाज हुआ है उसमें अखिलेश को बेहतर अंजाम की खास उम्मीद नहीं होगी।
मुलायम के सामने एक बड़ी राजनीतिक चुनौती
बहरहाल, एक तरफ जहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत चुनाव में झोंक दी है वही मायावती भी अपने दलित वोटबैंक में मुस्लिम वोट बैंक को ज़ोड़ने की पुरज़ोर कोशिश कर रही है। ऐसे में ये चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए करो या मरो वाले हैं लेकिन पार्टी के प्रथम परिवार में हो रहे टकराव से कार्यकर्ताओं का मनोबल कमज़ोर हो रहा है। मुलायम के सामने दोहरी चुनौती है, अखिलेश और शिवपाल को भी साथ रखना है और कार्यकर्ताओं का morale भी बनाए रखना है। अपने राजनीतिक जीवन में कई चुनौतियां का मुकाबला कर चुके मुलायम इससे कैसे निपट पाते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा।