कृषि क्षेत्र की धीमी रफ्तार के चलते न सिर्फ विकास दर सुस्त पड़ी है बल्कि यह किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य की राह में बाधा बन सकती है। चालू वित्त वर्ष में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की वृद्धि दर मात्र 2.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 4.9 प्रतिशत थी।
सीएसओ ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के पूर्वानुमान जारी किए। सीएसओ के अनुसार कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले साल के मुकाबले काफी कम रहने का अनुमान है। इसका मतलब यह है कि कृषि क्षेत्र संकट से उबर नहीं पा रहा है। वैसे बीते छह साल में सिर्फ दो साल 2013-14 और 2016-17 ही ऐसे हैं जब कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर थोड़ी बेहतर रही थी। अन्यथा बीते छह साल में से चार साल ऐसे रहे हैं जब कृषि की विकास दर काफी कम रही है।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि दर में सुस्ती इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में अगर कृषि और संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि तेज नहीं हुई तो यह लक्ष्य हासिल करने में दिक्कत हो सकती है। हालांकि अभी यह लक्ष्य हासिल करने के लिए चार साल बचे हैं।
कृषि क्षेत्र का योगदान जीडीपी में कम है लेकिन आधी से अधिक आबादी की आजीविका इस क्षेत्र से चलती है। अगर कृषि का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो इसका लाभ अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों को भी मिलता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ती है जिससे अंतत: मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को फायदा होता है और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आती है। ऐसे में सरकार को कृषि क्षेत्र की स्थिति सुधारने के लिए आगामी आम बजट में उपाय करने होंगे।