कई लोगों की आदत होती है कि वह फोन सिर के पास ही रख कर सोते हैं। यह आदत सेहत के लिए खतरनाक है। इसका कारण है रैडिएशन। फोन ही नहीं, वाई-फाई राउटर, माइक्रोवेव ओवन आदि उपकरण भी रैडिएशन के जरिए हमें नुकसान पहुंचाते हैं। फोन को अगर ‘प्लेन मोड’ में रखा जाए तो रैडिएशन के खतरे से बचा जा सकता है। यह जानकारी हाल ही में टीवी शो में आए एक प्रतिभागी ने अमिताभ बच्चन से बातचीत में भी सार्वजनिक की। वह प्रतिभागी इसी क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं। दरअसल मुंबई से आए रेडियो इंजीनियर विजय सिंह ने केबीसी में बिग बी से बात करते हुए बतलाया कि रात में सोते वक्त मोबाइल फोन को साथ रखना नुकसान देह हो सकता है।
यहां आपको यह भी बता दें कि मोबाइल रैडिएशन को लेकर हुए कई अध्ययनों में भी कहा गया है कि इससे तमाम दिक्कतें हो सकती हैं, जिनमें प्रमुख हैं- सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द आदि।
साल 2016 में आई डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया था कि मोबाइल से कैंसर तक होने की आशंका हो सकती है। इंटरफोन स्टडी में कहा गया था कि हर दिन आधे घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करने पर 8-10 साल में ब्रेन ट्यूमर की आशंका 200-400 फीसदी बढ़ जाती है। 2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है। हंगरी में साइंटिस्टों ने पाया कि जो युवक बहुत ज्यादा सेल फोन का इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।
बहरहाल विजय सिंह ने अमिताभ को बताया कि कैसे हम कुछ आसान उपायों को अपनाकर रैडिएशन से बच सकते हैं। उन्होंन बताया कि- हम लोगों के घरों पर जाकर टेस्ट करते हैं। एक साल पहले मैंने आपकी बेटी के घर जाकर भी रेडिएशन टेस्ट किया था और वहां थोड़ा रेडिएशन भी था। इसके बाद उन्होंने बतलाया कि इससे कैसे सुरक्षा प्रदान की जाती है। सबसे पहले यह पता किया जाता है कि रैडिएशन का सोर्स क्या है।
अगर रैडिएशन खिड़की, दीवार या छत के से आ रहा है तो हम उसके सोर्स को पता कर उसे ढंंक देते हैं। घर में रखे माइक्रोओवन, मोबाइल फोन, वाई-फाई कनेक्शन से भी रेडिएशन का खतरा बना रहता है। कम से कम इनका इस्तेमाल करते हैं। वाई-फाई के राउटर को सोने, बैठने या पढ़ने की जगह से कम से कम 5 सेंटीमीटर की दूरी पर ही लगाएं। रात को सोते वक्त मोबाइल फोन को एयरोप्लेन मोड में रखकर ही सोएं।