कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा की सक्रिय राजनीति में एंट्री से जहां सियासत का संवाद उन पर केंद्रित हो गया है, वहीं प्रियंका को उत्तर प्रदेश की कमान मिलने से राजनीतिक दलों में हलचल भी बढ़ गई है. यूपी में गठबंधन से कांग्रेस को दूर रखने वाली समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रियंका गांधी के कांग्रेस महासचिव बनने पर तीन दिन बाद शुभकामनाएं दी हैं.
सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रियंका गांधी वाड्रा के उत्तर प्रदेश में प्रभारी बनने पर पहली बार बयान देते हुए कहा है कि नए लोगों का राजनीति में स्वागत होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीति में जितने नए लोग आएं, हम समाजवादियों को उसे बहुत खुशी होती है. अखिलेश ने आगे कहा कि मैं उन्हें (प्रियंका गांधी वाड्रा) मुबारकबाद देता हूं और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष (राहुल गांधी) को बधाई देता हूं. अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अच्छा फैसला लिया है.
हालांकि, कांग्रेस से भविष्य में दोस्ती हो सकती है या नहीं, इस सवाल को अखिलेश यादव टाल गए. जब संवाददाताओं ने उनसे कांग्रेस के साथ आने वाले वक्त के समीकरणों को लेकर सवाल किया तो अखिलेश कहने लगे कि क्या सवाल पूछ रहे हो, देखो जनेश्वर मिश्र पार्क में कितना अच्छा मौसम हो रहा है. इसके अलावा अखिलेश से प्रियंका या गठबंधन को लेकर जो भी सवाल किए गए, उनका उन्होंने गोल मोल तरीके से जवाब दिया.
अखिलेश का यह रुख इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि 23 जनवरी को जब प्रियंका गांधी के नाम की कांग्रेस महासचिव के रूप में घोषणा हुई तो उसके कुछ देर बाद ही राहुल गांधी ने कहा था कि वह अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के गठबंधन का सम्मान करते हैं और उनकी इनसे कोई दुश्मनी नहीं है. इसके आगे उन्होंने भविष्य के सवाल पर कहा था कि वह मायावती जी और अखिलेश जी के साथ कहीं भी सहयोग करने को तैयार हैं. राहुल ने कहा था कि हम तीनों का लक्ष्य बीजेपी को हराना है.
बधाई देने में लग गए तीन दिन
हालांकि, दूसरी तरफ सपा की साथी बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अभी तक प्रियंका गांधी को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. जबकि यूपी में महागठबंधन के तीसरे साथी व राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी कांग्रेस में प्रियंका के आगाज का स्वागत कर चुके हैं.
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा एक साथ लड़ चुके हैं. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की कोशिशों के बीच अखिलेश यादव ने अपनी चिर प्रतिद्वंदी मायावती की पार्टी से गठजोड़ कर लिया है और कांग्रेस को गठबंधन का हिस्सा नहीं बनाया है. ऐसे में चर्चा ये है भी कि गठबंधन से आउट होने के चलते ही कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने का बड़ा दांव खेला है.