स्विस बैंकों में भारतीयों के काला धन बढ़ने की वजह से मोदी सरकार निशाने पर है. वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल को इस बढ़ोतरी पर हैरानी नहीं है. उनका कहना है कि 1.5 करोड़ रुपए देश से बाहर ले जाना वैध है.
गोयल ने कहा, स्विट्जरलैंड से समझौते के तहत हमें 1 जनवरी 2018 से साल के अंत तक की सभी जानकारियां मिल जाएंगी. ऐसे में पहले से ही इसे ब्लैकमनी कहना गलत है. उन्होंने आगे कहा, इस पर सरकार की निगाहें हैं और अगर यह ब्लैकमनी पाया जाता है तो उचित कार्रवाई की जाएगी.
बीते साल भारत और स्विट्जरलैंड के बीच एक एग्रीमेंट हुआ था. इसके तहत 1 जनवरी 2018 से दोनों देश ट्रांजेक्शन और टैक्स से जुड़ी जानकारियों का आदान – प्रदान करेंगे.
हालांकि यह भी तथ्य है कि 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की ब्लैकमनी में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है. स्विस बैंकों से 2017 की जानकारियां सरकार को मिल सकेंगी या नहीं, इस संबंध में पीयूष गोयल ने जानकारी नहीं दी.
दरअसल, स्विस बैंकों में भारतीयों की ब्लैकमनी में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है. स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक स्विस बैंक खातों में भारतीयों द्वारा रखा गया धन 2017 में 50% बढ़कर 7000 करोड़ रुपए (1.01 अरब फ्रैंक) हो गया है.
ये आंकड़ा इसलिए भी चौंकाता है कि क्योंकि मोदी सरकार आने के बाद लगातार तीन साल कालेधन में कमी आई थी. लेकिन 2016 में नोटबंदी का फैसले के बाद इसमें अचानक बढ़ोतरी हुई. स्विस बैंक ने जो आंकड़े जारी किए हैं वह 2017 के हैं और नोटबंदी 8 नवंबर, 2016 को लागू हुई थी. यानी साफ है कि नवंबर 2016 और 2017 के बीच सबसे ज्यादा पैसा स्विस बैंक पहुंचा. प्रधानमंत्री ने जब नोटबंदी का ऐलान किया था तब इसे कालेधन के खिलाफ सबसे बड़ी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बताया गया था.
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