नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी कालेधन को जड़ से उखाड़ फेंकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं जिसको लेकर उन्होंने एक और ठोस कदम उठाया है। मोदी सरकार ऐसी कागजी कंपनियों पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है जिन पर काले धन को सफेद करने का शक है और जो नोटबंदी के दौरान भी मनी लॉन्ड्रिंग के कारोबार में लिप्त थीं। देश में ऐसी कंपनियों की संख्या लगभग 6 से 7 लाख तक होने का अनुमान लगाया गया है।
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 खबरों के मुताबिक इन कंपनियों में से कई ने नोटबंदी के दौरान और उसके बाद भी बड़े-बड़े ट्रांजैक्शंस किये हैं। गौरतलब है कि देश में लगभग 15 लाख रजिस्टर्ड कंपनियां हैं। इनमें से 40 फीसदी शक के दायरे में हैं। मोदी सरकार ने ऐसी कंपनियों पर नकेल कसने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड समेत कई बड़ी एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी है।
खबरों के मुताबिक इन कंपनियों में से कई ने नोटबंदी के दौरान और उसके बाद भी बड़े-बड़े ट्रांजैक्शंस किये हैं। गौरतलब है कि देश में लगभग 15 लाख रजिस्टर्ड कंपनियां हैं। इनमें से 40 फीसदी शक के दायरे में हैं। मोदी सरकार ने ऐसी कंपनियों पर नकेल कसने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड समेत कई बड़ी एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी है।
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आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस दिशा में लगातार काम कर रहा है और हमने ऐसी कंपनियों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी जुटा ली हैं। जिन पर नोटबंदी के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के कारोबार में शामिल होने का शक है। आयकर विभाग ने बताया कि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के समक्ष रिटर्न फाइल न करने की वजह से ये कंपनियां पहले से ही हमारे राडार पर थीं।
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