इस्लामाबाद: एक ओर पाकिस्तान स्वयं ही एलओसी पर लगतार संघर्ष विराम का जमकर उल्लंघन कर रहा है और भारत पर इसका दोष मढ़ते हुए उलटा आरोप लगा रहा है. पाकिस्तान एक ओर जहां शुक्रवार को भारतीय डिप्टी हाईकमिश्नर को तलब कर विरोध जता रहा था, वहीं पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने भारतीय इलाकों में कई जगह फायरिंग की है. जम्मू-कश्मीर के राजौरी में पाकिस्तान की भारी फायरिंग से कई रिहाइशी इलाकों में नुकसान हुआ है.
पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिकों की गोलीबारी को लेकर आरोप लगाते हुुुए लगातार दूसरे दिन शुकवार को भारत के उप उच्चायुक्त जेपी सिंह को तलब किया. पाकिस्तानी विदेश विभाग ने कहा कि महानिदेशक (दक्षिण एशिया एवं दक्षेस) मोहम्मद फैसल ने सिंह को सम्मन किया और गत एक मार्च को भीमबेर/समाहिनी सेक्टरों में भारतीय सुरक्षा बलों की ओर से की गई गोलीबारी की निंदा की.
पाकिस्तान की फायरिंग में भारतीय रिहाइशी इलाकों में नुकसान
पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए शुक्रवार को राजौरी के एलओसी से रिहाइशी लगे इलाकों में भारी फायरिंग की. इससे कई घरों को भारी नुकसान पहुंचा. पाकिस्तानी विदेश विभाग ने आरोप लगाते हुए कहा कि गोलीबारी में एक आम नागरिक की मौत हो गई और उसकी पत्नी व बेटा घायल हो गए. फैसल ने आरोप लगाते हुए कहा कि संयम के आह्वान के बावजूद भारत संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन कर रहा है. बता दें कि पाकिस्तानी विदेश विभाग ने गुरुवार को भी इसी विषय को लेकर जेपी सिंह को तलब किया था. इससे पहले पाकिस्तान भारतीय उप उच्चायुक्त को पांच, 15, 20, 22, 24 और 27 फरवरी को भी सम्मन किया था.
इधर बीएसफ जवान मना रहे होली
पाकिस्तान जब शुक्रवार को भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर को तलब कर विरोध जता रहा था, तब हमारे बीएसएफ के जवान जम्मू-कश्मीर के पुंछ में लाइन ऑफ कंट्रोल से लगे इलाके में होली मना रहे थे.
भारत पर 415 बार संघर्ष विराम के उल्लंघन का आरोप
पाकिस्तानी विदेश विभाग के महानिदेशक फैसल ने दावा किया कि साल 2018 में भारतीय सुरक्षा बलों ने नियंत्रण रेखा और कार्यकारी सीमा पर संघर्ष विराम का 415 बार उल्लंघन किया है, जिनमें 20 आम नागरिक मारे गए और 71 अन्य घायल हो गए. फैसल ने कहा कि भारत की ओर से 2017 से इस स्तर पर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जा रहा है.
2017 में 1970 बार संघर्ष विराम तोड़ने का आरोप
पिछले साल 1970 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि जानबूझकर रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है और यह निश्चित तौर पर निंदनीय है और मानवीय गरिमा, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मानवीय कानूनों के विपरीत है्.