इस्लामाबादः मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद नीत जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउन्डेशन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. मीडिया में सोमवार को आई खबरों के मुताबिक पीएम ने इस डर से अपने फैसले को पलटा कि इस तरह के किसी भी कदम से राजनैतिक संकट पैदा हो सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाते हुए सुरक्षा सहायता के तौर पर उसे दी जाने वाली दो अरब डॉलर की राशि रोक दी थी. इसके बाद वह आतंकवादी समूहों पर लगाम कसने को लेकर काफी दबाव में आ गया था.पाकिस्तान के पीएम ने हाफिज के संगठनों के खिलाफ नहीं होने दी कड़ी कार्रवाई

नवंबर जैसे संकट से डरी सरकार

जेयूडी एलईटी का मुखौटा संगठन है. यह मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले के लिये जिम्मेदार है. उस हमले में 166 लोग मारे गए थे. उसे अमेरिका ने जून 2014 में विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था.
द न्यूज की खबर के अनुसार एक बैठक में अब्बासी ने कहा कि दोनों संगठनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, लेकिन गृह मंत्री अहसन इकबाल की राय थी कि अगर अभी इन संगठनों को प्रतिबंधित किया गया तो सरकार को उसी तरह के संकट का सामना करना पड़ेगा, जैसा उसे नवंबर में करना पड़ा था.

क्या हुआ था नवंबर में

नवंबर में फैजाबाद में खादिम हुसैन रिजवी के नेतृत्व वाले इस्लामी संगठन तहरीक लब्बाइक या रसूल अल्लाह के समर्थकों के धरने की वजह से इस्लामाबाद और रावलपिंडी में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था.
बैठक में वित्त और आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मिफ्ताह इस्माइल और विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की आगामी बैठक के संभावित नतीजों के बारे में उन्हें जानकारी दी. इस बैठक में पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डालने का फैसला किया जा सकता है जो आतंकवाद का वित्तपोषण करते हैं.

तीन सदस्यीय एक समिति का गठन

खबर में बताया गया कि उनकी सूचनाओं के आधार पर अब्बासी ने तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया, जो जेयूडी और एफआईएफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बारे में फैसले को अंतिम रूप देगी. इस समिति में इकबाल, इस्माइल और अटॉर्नी जनरल इश्तार औसफ शामिल हैं.समिति ने राष्ट्रपति के अध्यादेश के जरिये मुद्दे का समाधान करने का फैसला किया. इसके जरिये आतंकवाद निरोधक कानून, 1997 में संशोधन किया जाएगा. यह कानून संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित संगठन की सभी संपत्तियों को कुर्क करने में सक्षम बनाएगा. औसफ के हवाले से अखबार ने कहा है कि गृह मंत्रालय की ओर से दोनों संगठनों को औपचारिक रूप से प्रतिबंधित करने के लिये अब भी अधिसूचना जारी किया जाना बाकी है.

अखबार में कहा गया है कि नौ फरवरी के राष्ट्रपति के अध्यादेश के बाद संघीय सरकार ने जेयूडी और एफआईएफ को आतंकवाद निरोधक कानून की पहली अनुसूची में डाले बिना समूचे देश में उनकी संपत्तियों को जब्त करने का औपचारिक आदेश दिया. इस महीने की शुरूआत में पंजाब के विधि मंत्री राणा सानुल्ला ने कहा था कि गृह मंत्रालय के निर्देश पर सईद और उनके परमार्थ संगठनों के पाकिस्तान में संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और सरकार ने जेयूडी और एफआईएफ की सारी सुविधाओं, कार्यालय, स्कूल, डिस्पेंसरी और मदरसों को अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया है.

कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज नहीं

अखबार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा कि संघीय सरकार ने कानून के जरिये जेयूडी और एफआईएफ की संपत्तियों को जब्त करने का फैसला किया है, लेकिन यह पुलिस को उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने की प्रांतीय पुलिस को शक्ति नहीं देता है. इसलिए हमने उनकी संपत्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया है, लेकिन उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है.