पढ़ें- क्या है BS-III नॉर्म्स जिससे कबाड़ बन गई हैं 8 लाख से ज्यादा गाड़ियां

ऑटो मैन्‍युफैक्‍चरर्स ने BS-III व्हीकल्स की सेल पर बैन से एक साल की छूट पाने के लिए पिटीशन लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए 1 अप्रैल 2017 से देशभर में भारत स्टेज (BS)III व्हीकल्स के सेल पर बैन लगा दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी कंपनियों के पास BS-III एमिशन नॉर्म्स वाली बिना सेल के करीब 8.2 लाख व्हीकल्स हैं.

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जानें क्या है भारत स्टेज एमिशन नॉर्म्स:
व्हीकल्स में फ्यूल होता है जिससे प्रदूषण होता है, इसे ही कंट्रोल करने के लिए एक स्टैंडर्ड तय किया जाता है, जिसे एमिशन नॉर्म्स कहा जाता है. जैसे-जैसे वक्त बदलता है टेक्नोलॉजी में भी विस्तार होता है, ऐसे में पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए नित नए प्रयोग किए जाते हैं, जिससे एमिशन नॉर्म्स में भी बदलाव आता है.

इसी एमिशन नॉर्म्स के तहत कंपनियों को व्हीकल्स तैयार करने के निर्देश दिए जाते हैं ताकी वायु प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सके. नए स्टैंडर्ड आने से फ्यूल को भी बदला जाता है. अभी भारत में BS-IV स्टैंडर्ड चल रहा है और BS-III पर बैन लगाया गया है. इसे यूरो-IV भी कहा जाता है. आपको बता दें कि भारत सरकार ने तय किया है कि वो BS-V को छोड़कर BS-VI एमिशन नॉर्म्स को लागू करेगी. जो 2020 तक लागू की जाएगी.

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BS-III एमिशन नॉर्म्स वाले व्हीकल्स की संख्या (20 मार्च 2017) :
कमर्शि‍यल व्‍हीकल्‍स- 96,724
टू-व्‍हीलर्स- 6,71,308
थ्री व्‍हीलर्स- 40,048
कार- 16,198

सोसाइटी ऑफ इंडि‍यन ऑटोमोबाइल मैन्‍युफैक्‍चरर्स की ओर से जारी डाटा के मुताबि‍क, देश में बिना सेल किए वाले BS-III टू-व्‍हीलर्स की संख्या 6.71 लाख यूनि‍ट्स हैं. इसमें देश की दो सबसे बड़ी कंपनी Hero मोटोकॉर्प और Honda मोटरसाइकल एंड स्कूटर इंडिया की हिस्सेदारी 80% के साथ सबसे ज्यादा है. हीरो के पास 2.90 लाख यूनिट्स और होंडा के पास करीब 2.50 लाख BS-III यूनिट व्हीकल्स हैं.

जिन कंपनियों ने BS-III व्हीकल्स के सेल को सपोर्ट किया उनमें हीरो मोटोकॉर्प, होंडा मोटरसाइकल एंड स्कूटर इंडिया, टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड, महिंद्रा एंड महिंद्रा और TVS मोटर शामिल है.

महंगी होंगी BS-IV व्हीकल्स:
रिपोर्ट्स के मुताबिक, BS-IV व्हीकल्स BS-III एमिशन नॉर्म्स वाले व्हीकल्स से ज्यादा महंगी होंगी. क्योंकि टू-व्हीलर्स में BS-IV तभी सपोर्ट करेगा जब उनमें कार्बोरेटर की जगह फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम दिया जाए. ऐसा करना कंपनियों को महंगा पड़ता है. अभी फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम हायर एंड व्हीकल्स में आमतौर पर दिए जाते हैं.

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