: यह कितने आश्चर्य की बात है कि जाली नोटों को खत्म करने और आतंकवादियों को फंडिंग के अलावा अन्य अपराधों में कमी करने के मकसद से ही सरकार ने 8 नवम्बर को नोटबन्दी का निर्णय लिया था, इसके बावजूद नोटबंदी के बाद 27 नवंबर तक बैंकों में कुल नोटों के तीन फीसदी नकली नोट पहुँच गए.इन नोटों की कुल कीमत 9.63 करोड़ है.इस बारे में 2016 की पहली छमाही में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) ने जो आंकड़े जारी किये उसके अनुसार बाजार में करीब 400 करोड़ रुपए की नकली मुद्रा थी, जिसमें से 1000 के नोटों की संख्या 50 फीसदी और 500 रुपए के पुराने नोटों की संख्या 25 फीसदी के करीब थी. इन दोनों पुराने नोटों की कुल फेस वैल्यू 300 करोड़ है.यदि आईएसआई के अनुमान पर विचार करें तो इसका यही नतीजा निकला कि नोटबंदी की घोषणा के बाद खातों में जमा हुए नोटों में से इस नकली नोटों का सिर्फ 3.2 फीसदी हिस्सा ही पहुंचा.इसका आशय यही है कि शेष नकली मुद्रा अभी भी बाजार में ही है जो 30 दिसंबर तक बैंक में जमा करने के प्रयास हो सकते हैं , इसलिए बैंकों को सावधान रहने की जरूरत है.