नैनीताल: राजभवन देहरादून में नैनी झील के संरक्षण को लेकर आयोजित सेमिनार में विशेषज्ञों के सुझावों पर अमल को लेकर सरकारी स्तर पर तैयारी तेज हो गई है। सिंचाई विभाग ने झील के कैचमेंट सूखाताल झील को अस्तित्व में लाने के लिए नौ करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा है तो प्राधिकरण ने सूखाताल झील क्षेत्र में अतिक्रमण की जद में आ रहे 44 परिवारों को शिफ्ट करने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है।
पिछले साल रिकार्ड स्तर पर जलस्तर गिरने के बाद नैनी झील व इसके कैचमेंट एरिया सूखाताल के संरक्षण को लेकर राज्यपाल व मुख्यमंत्री स्तर पर बैठकों का दौर हुआ। झील संरक्षण को देखते हुए नैनीताल में जल संस्थान द्वारा रोस्टिंग की गई, मगर इस बार बारिश नहीं होने से फिर बढ़ रही चिंता ने सरकार व शासन की सक्रियता बढ़ा दी है।
पिछले दिनों राज्यपाल केके पॉल की ओर से राजभवन में नैनी झील संरक्षण को लेकर सेमिनार आयोजित किया गया था, जिसमें बुद्धिजीवियों से लेकर भू वैज्ञानिक व नैनीताल के स्थानीय विशेषज्ञों को बुलाया गया था। जिसके बाद से सूखाताल संरक्षण को लेकर सरकारी स्तर पर फाइलें दौड़ने लगी हैं।
प्रति मिनट ढाई हजार लीटर पानी की बोरिंग बंद हो
सूखाताल संरक्षण को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत ने झील संरक्षण को लेकर सरकारी कवायद पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सूखाताल में एबीडी की ओर से तीन पंप स्थापित किए गए हैं, जिसमें से दो पंपों के माध्यम से प्रति मिनट ढाई हजार लीटर पानी बोरिंग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में नैनी झील कैसे भरेगी?
अतिक्रमण लील गया 18 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल
नैनी झील का कैचमेंट सूखाताल का क्षेत्रफल राज्य बनने से पहले करीब 40 हजार वर्ग मीटर था, अब घटकर 22 हजार वर्ग मीटर रह गया है। मंडलायुक्त चंद्रशेखर भट्ट इस बारे में बताते हैं कि जिला विकास प्राधिकरण की ओर से अतिक्रमण के दायरे में आ रहे चिह्नित 44 परिवारों को विस्थापित करने के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। कहा कि सूखाताल का ट्रीटमेंट सरकार व शासन दोनों की प्राथमिकता में है।