सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की मांग वाली केंद्र व दिल्ली सरकार की लंबित याचिका ट्रायल कोर्ट के डेथ वारंट जारी करने की राह में वह बाधा नहीं बनेगी। पीठ ने अलग-अलग फांसी की मांग वाली केंद्र व दिल्ली की याचिका पर 20 को सुप्रीम सुनवाई की तारीख तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ किया है कि ट्रायल कोर्ट निर्भया के दोषियों के नए डेथ वारंट जारी कर सकता है। पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को मेरिट के आधार पर सुनवाई करने के लिए कहा है और स्पष्ट किया कि दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की मांग वाली केंद्र व दिल्ली सरकार की लंबित याचिका ट्रायल कोर्ट के डेथ वारंट जारी करने की राह में बाधा नहीं बनेगी। पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 20 फरवरी मुकर्रर की है।
जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र की अर्जी पर सुनवाई 17 फरवरी तक टाल दी। पीठ ने कहा जब ट्रायल कोर्ट इस मामले पर 17 को सुनवाई करेगा, तो बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट उसके फैसले का इंतजार करे। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए 20 फरवरी को सूचीबद्ध किया गया है।
पीठ ने कहा, शीर्ष अदालत के समक्ष दोषियों की कोई याचिका लंबित नहीं है और तीन गुनहगारों की दया याचिका भी राष्ट्रपति की ओर से खारिज हो चुकी है। वहीं, चौथे दोषी पवन ने अभी तक कोई याचिका नहीं दी है। ऐसे में निचली अदालत फांसी की नई तारीख जारी कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में निर्भया मामले के चारों दोषियों में से एक विनय शर्मा की तरफ से मानसिक तौर पर अनफिट होने का दावा करते हुए फांसी से राहत मांगी गई थी। विनय के वकील ने याचिका में उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की थी। लेकिन शीर्ष अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उसका यह दावा भी खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, विनय शर्मा की मेडिकल रिपोर्ट सहित सभी सामग्री राष्ट्रपति के समक्ष रखी गई, जिन्होंने दया याचिका खारिज करते समय इन सब बातों का ध्यान रखा। पीठ ने कहा, मेडिकल रिपोर्ट बताती है कि विनय की हालत स्थिर है। विनय मनोवैज्ञानिक रूप से फिट है और उसकी हालत भी ठीक है।
इससे पहले विनय के वकील एपी सिंह का कहना था कि विनय की दया याचिका में इस बात पर गौर नहीं किया गया कि वह दिमागी रूप से बीमार है। साथ ही सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ओएसडी के व्हाट्स एप मैसेज के जरिए दया याचिका खारिज होने की सिफारिश की गई थी। साथ ही दया याचिका में मेडिकल रिपोर्ट और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति से संबंधित दस्तावेज नहीं लगाए गए।
सिंह ने कहा कि उस वक्त चुनावी आचार संहिता लागू थी, इसलिए मंत्रिमंडल की सलाह नहीं ली गई। सिंह ने कहा कि विनय की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं रही है, बावजूद इसके फांसी की सजा दी गई। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि दया याचिका लंबित होने के दौरान विनय को एकांत में रखा गया था। हालांकि पीठ ने इन सभी दलीलों को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर. भानुमति शुक्रवार को उस वक्त अचेत हो गईं, जब वे निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र की मांग वाली याचिका पर आदेश लिखा रही थीं। हालांकि, वह जल्द ही ठीक हो गईं। उन्हें फौरन ही पीठ में बैठे दूसरे जज और स्टाफ चैंबर में ले गए। उन्हें इलाज के लिए व्हील चेयर पर ले जाया गया। इसके बाद जस्टिस बोपन्ना ने कहा, इस मामले में आदेश चैंबर में ही पारित किया जाएगा।
जस्टिस अशोक भूषण इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ के तीसरे जज हैं। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, जस्टिस आर भानुमति को तेज बुखार था। उनका बुखार अब भी बना हुआ है। चैंबर में डॉक्टर उनकी जांच कर रहे हैं। दलीलें सुनते वक्त भी उनकी तबियत खराब थी और वे दवाइयां ले रही थीं।