नई दिल्ली : देश में पीएम मोदी के 500 और 1000 रु. के नोट बैन के ऐलान के बाद से अफरा-तफरी मच गई है, लेकिन पुराने नोटों को बंद करने के पीछे भी कारण है।
नकली नोटों के जाल को लेकर इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टिट्यूट (ISI) सहित कई सिक्यॉरिटी एजेंसियों की तरफ से हुई टॉप सीक्रिट स्टडी है। इस स्टडी को मोदी के सामने फरवरी और मार्च में पेश किया गया था। इस पर मोदी ने अपनी टीम को इस दिशा काम करने के लिए कहा था। रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल 400 करोड़ रुपए के जाली नोट यानी फेक इंडियन करंसी नोट (एफआइसीएल) चल रही थी। स्टडी में यह भी बताया गया था कि यह पिछले चार साल में 2011-12 से 2014-15 के बीच एक ही स्तर पर रहा है। रिपोर्ट के हिसाब से सिस्टम में 500 रुपए के मुकाबले 1000 के जाली नोट कम पाए गए थे। स्टडी में यह भी पता चला था कि सिस्टम में 100 के जाली नोट 1000 वाले जितने ही हैं लेकिन सरकार ने 100 के करंसी नोट को खत्म नहीं करने का फैसला किया।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal