राजनीतिक दल शिवसेना के मुखपत्र सामना में ट्रिपल तलाक का बिल पास कराने पर मोदी सरकार की जमकर बढाई की गई है. सामना में इसके संबंध में लिखा है कि, ‘हिंदुस्तान की 12 करोड़ मुस्लिम महिलाएं अब खुलकर सांस ले सकेगी. वे ट्रिपल तलाक वाली गुलामी की बेड़ियों से मुक्त हो चुकी हैं और एक नई आशा के साथ करोड़ों महिलाएं एक नया जीवन अब जिएंगी. आगे लिखा आगया है कि मोदी सरकार इसके लिए अभिनंदन की पात्र है.
सामना ने आगे लिखा कि कांग्रेस सहित कुछ धर्मनिरपेक्षवादियों ने आखिर तक ‘ट्रिपल तलाक विरोधी कानून’ मंजूर न होने पाए इसके लिए खूब प्रयास किया. शिवसेना के मुताबिक़, यह
कानून मंजूर हो गया तो देश का धर्मनिरपेक्षवाद खतरे में भी आ जाएगा और उन लोगों ने इस तरह की पिचकारी मारी. उसका कोई उपयोग नहीं हुआ. मुस्लिम समाज की एक कट्टर प्रथा को मोदी सरकार द्वारा कचरे की टोकरी में फेंक दिया गया है.’
शिवसेना आगे लिखती है कि है, ‘शाहबानो प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बावजूद राजीव गांधी द्वारा मुसलमानों की शरीयत के आगे अपने घुटने टेक दिए गए और संविधान का अपमान किया गया. ये सब-कुछ वोट बैंक के लिए ही किया गया और मुसलमानों की दाढ़ी इस दौरान सहलाई गई. कांग्रेस ने न्याय नहीं किया तथा हिंदू और मुसलमानों के बीच की दूरियों को भी नहीं मिटाया. अब उसी खाई में वे खुद गिरे हैं. ‘तलाक’ के कारण क्या? तो भोजन में नमक कम था इसलिए तलाक, बीवी बीमार है इसलिए तलाक और बीवी मायके से पैसे नहीं लाती इसलिए तलाक. इस ट्रिपल तलाक ने मुसलमानों के घर को नर्क बना दिया था. मानो उस नर्क में स्त्री को धकेलने का जन्मजात अधिकार पुरुषों को प्राप्त था.’ इस मामले को लेकर शिवसेना ने और भी के ख़ास बातें लिखी है.