गरीब बच्चों की उत्तर प्रदेश से तस्करी और फिर राजस्थान में भिखारी की ट्रेनिंग. ट्रेनिंग के बाद अंधभक्तों की मंडी में उतरे ये दिव्यांग अपने आका को रोज करीब पंद्रह सौ रुपये कमा कर देने लगते हैं. ये कोई फिल्मी सीन नहीं बल्कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में पकड़े गए एक भिखारी गैंग की सच्चाई है.
यूपी से गरीब बच्चों को जयपुर लाकर दिव्यांग और भिखारी के गेटअप में तैयार कर भीख मंगवाई जा रही थी. भीख मांगने के लिए बच्चों को दिव्यांगों की तरह दिखने की ट्रेनिंग दी जाती थी. ट्रेनिंग के बाद व्हील चेयर पर बैठाकर दिल में छेद होने की बात बोलते हुए भीख मांगना सिखाया जाता था. इसी तरह का मामला सोमवार को जालूपुरा में मुकंदगढ़ हाउस के पास सामने आया.
एक बच्चा दिव्यांग के गेटअप में व्हील चेयर पर बैठकर खुद को गंभीर बीमारी से ग्रसित बताकर भीख मांग रहा था. वहां से गुजर रहे रफीक खान खंडेलवी को शक हुआ तो बच्चों से पूछा तो मामले का भंडाफोड़ हो गया. इसके बाद पुलिस ने मास्टर माइंड को रेलवे स्टेशन से दबोच लिया लेकिन महिला आरोपी फरार हो गई. बच्चों का कहना है कि उनको सहारनपुर से जयपुर लाया गया था.
वे रोजाना 1000 से 1500 रूपए तक भीख मांगकर मास्टर माइंड को देते थे. भीख का 20 प्रतिशत हिस्सा मास्टर माइंड दिव्यांग बच्चों के परिवार वालों को भेजता था. पुलिस अफसर ने बताया कि समीर सहारनपुर का है, जयपुर में रेलवे स्टेशन के पास रहता है. उसके पास से 10590 रुपए की चिल्लर, एक व्हीलचेयर, बैट्रियां, एम्पलीफायर, वाइस रिकॉर्डिंग व स्पीकर बरामद किए हैं.मास्टर माइंड समीर यूपी से दिव्यांगों को जयपुर लेकर आता और उनको रेलवे स्टेशन या आसपास खानाबदोश की तरह रखता.
बच्चों को भिखारी के गेटअप में बच्चे को व्हीलचेयर पर बिठाता जो कमजोर हो और दिखने में बीमार लगे. भीख के लिए बच्चों को बदबूदार फटे पुराने कपड़े पहना देता. साथ ही एक बच्चे को व्हीलचेयर के धक्का लगाने के लिए तैयार करता. व्हीलचेयर पर बैट्री ,एम्पलीफायर व छोटे स्पीकर लगा देता. वाइस रिकार्डिंग के जरिए यह बताया जाता कि जो बालक व्हील चेयर पर बैठा है वह दिल के गंभीर रोग से पीड़ित है.
इसके इलाज के लिए रुपयों की जरूरत है. समीर और सलमा दोनों सहारनपुर के हैं. एक साल से दोनों बच्चों को जयपुर लाते थे. उनको दिव्यांग की तरह बनाकर भीख मंगवाते थे.
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