नई दिल्ली| लंबे समय देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप राज्यपाल के बीच पॉवर को लेकर चल रही खींचतान के बीच संवैधानिक बेंच में गुरुवार को सुनवाई शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान में एलजी का अधिकार सुनिश्चित है और पहली नजर में किसी भी अर्जेंट मामले में उन्हें वरीयता दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के संबंध में संविधान कुछ अलग है और प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उलट यहां उप राज्यपाल को ज्यादा शक्तियां प्राप्त है.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण सुनवाई शुरू की जिसमें यह फैसला किया जाना है कि केंद्र शासित दिल्ली के प्रशासन में निर्वाचित सरकार या उप राज्यपाल में से कौन शीर्ष पर होगा. सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि संवैधानिक व्यवस्था प्रथम दृष्टया उप राज्यपाल के पक्ष में झुकी हुई दिखती है.
वहीं दिल्ली सरकार की ओर से दलील पेश करते हुए कहा गया कि चुनी हुई सरकार बिना अधिकार के नहीं हो सकती. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे मामले में कुछ सकारात्मक बातें निकलकर आ सकती हैं. उन्होंने यह उम्मीद सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज यह कहे जाने के बाद जताई है कि संवैधानिक व्यवस्था प्रथम दृष्टया उप राज्यपाल के पक्ष में झुकी हुई दिखती है.
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल मे कहा कि अगर दिल्ली सरकार को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) पर नियंत्रण वापस प्राप्त हो जाए तो वह ठीक वैसा ही करिश्मा कर दिखाएंगे जो उन्होंने 49 दिन की सरकार के कार्यकाल के दौरान दिखाया था. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय मामले की सुनवाई कर रहा है. ईश्वर हमारे साथ है. साथ ही उन्होंने कहा कि मामले में कुछ सकारात्मक नतीजे निकल सकते हैं.
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