हाईकोर्ट ने एम्स के एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर को दुष्कर्म के एक मामले में सशर्त जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। ऐसे में ट्रायल पूरा होने और फैसला आने में समय लगेगा।
इन स्थितियों में आपराधिक इतिहास न होने का लाभ आरोपी को दिया जाना चाहिए। पीठ ने नोट किया कि शिकायतकर्ता महिला और आरोपी के बीच सहमति से संबंध स्थापित हुए थे। इस आधार पर अदालत ने डॉक्टर को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक जमानती पर रिहा करने का आदेश दिया।
शिकायतकर्ता महिला ने दावा किया था कि डॉक्टर ने शादी का वादा किया। हालांकि, अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि एक परिपक्व, शिक्षित और विवाहित महिला होने के नाते शिकायतकर्ता को विवाह की रस्मों की जानकारी होनी चाहिए।
अदालत ने रिकॉर्ड किया कि शिकायतकर्ता के खिलाफ जबरन वसूली का एक मामला दर्ज है, जिसमें डॉक्टर ने आरोप लगाया था कि महिला ने उसे और उसके परिवार को आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी देकर पैसे ऐंठने की कोशिश की। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता ने अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी समान प्रकृति की प्राथमिकी दर्ज कराई हैं।
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