नई दिल्ली। गंभीर अपराध के आरोपी सांसदों और विधायकों के आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंदी की दिशा में केंद्र सरकार ने आज एक और कदम आगे बढ़ाया. आज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में बताया कि उसने सांसदों और विधायकों से जुड़े गंभीर आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए 12 विशेष अदालतों के गठन का फैसला किया है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि इन केसों का निपटारा एक साल के अंदर किया जाना चाहिए. इसके लिए उसने सरकार से ड्राफ्ट भी मांगा था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. हालांकि केंद्र सरकार ने इसे खारिज करते हुए 6 साल की बैन को ही लागू रखने को कहा था.
1 नवंबर 2017 को सुनवाई के दौरान आयोग ने कहा था कि वह इस संबंध में कानून में संसोधन के लिए केंद्र सरकार को कई बार चिट्ठी लिख चुका है. आयोग ने राजनीति के अपराधीकरण को रोकने की मांग वाली एक जनहित याचिका में दोषी करार लोगों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए अयोग्य ठहराये जाने की मांग का समर्थन किया.
आयोग ने कहा था कि उसने अपनी यह मांग सरकार के सामने भी रखी है और वह इस बारे मे कानून संशोधित करने के लिए सरकार को भी लिख चुका है. आयोग की इस बात पर कोर्ट ने इस बात का प्रूफ मांगते हुए कहा कि कब लिखा है सरकार को हमें बताओ.
एडीआर की रिपोर्ट
इसी साल जुलाई में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स एंड नेशनल इलेक्शन वॉच (एडीआर) ने विधायकों-सांसदों के हलफनामे का विश्लेषण किया था. इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. एडीआर के मुताबिक 1,581 सांसदों और विधायकों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज थे. एडीआर ने यह जानकारी 4,896 में से 4,852 विधायकों और सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण के आधार पर दी थी. 4,852 सांसद और विधायकों में से 993 (20 फीसदी) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal