नई दिल्ली। भारत की नई बैडमिंटन सनसनी ने रियो ओलंपिक के महिला सिंगल्स सेमीफाइनल मुकाबले को जीतकर भारत के लिए रजत पदक तो पक्का कर ही लिया है लेकिन आज उनकी नज़र स्वर्ण पदक जीतने पर होगी। आज उन्हें विश्व की नंबर 1 महिला बैडमिंटन खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ फाइनल मुकाबला खेलना है।
पुलेला गोपीचंद के नेतृत्व में अपने खेल को सुधारने वाली इस महिला खिलाड़ी से देशवासियों की स्वर्ण पदक की उम्मीद पूरी होने की प्रबल संभावना है। भारत को ओलंपिक में पहला बैडमिंटन पदक मिलना क्यों है लगभग तय है
भारत को ओलंपिक में पहला बैडमिंटन पदक मिलने की उम्मीद
भारत की 21 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु रियो ओलंपिक में अबतक एक भी मुकाबले में नहीं हारी हैं।
दुनिया में नंबर 10 महिला बैडमिंटन खिलाड़ी होने के बावजूद उन्होंने नंबर 2 और नंबर 6 की खिलाड़ी को हराकर दो बड़े उलटफेर किए। इन्हें देखकर लगता है कि पीवी सिंधु आज होने वाले फाइनल मुकाबले में भी कुछ ऐसा ही करिश्मा करेंगी।
पीवी सिंधु की सर्विस काफी तेज़ है और सेमीफाइनल मुकाबले में भी यह देखने को मिला। उन्होंने विरोधी को अटैक का मौका ही नहीं दिया। अगर आज भी ऐसा होता है तो मुकाबला सिंधु के पक्ष में जा सकता है।
उम्र की बात करें तो पीवी सिंधु 21 वर्ष की हैं और आज फाइनल की प्रतिद्वंदी स्पेन की कैरोलिना मारिन 23 वर्ष की हैं। हालांकि, उम्र का फैक्टर खेल पर बहुत ज्यादा तो फर्क नहीं डालने वाला है क्योंकि दोनों की उम्र में महज 2 साल का ही अंतर है।
लेकिन इसके बावजूद हम इसे जीत की संभावनओं से इग्नोर नहीं कर सकते। सिंधु अगर आज अपने कोर्ट कवरेज पर कंट्रोल बनाने में कामयाब रहती हैं तो जीत बहुत दूर नहीं है।
सेमीफाइनल मुकाबले में सिंधु कई बार कोर्ट कवरेज को लेकर पीछे दिखी थी। सिंधु अगर खेल के दौरान अपने अग्रेशन पर नियंत्रित करने में कामयाब रहती हैं तो फिर कैरोलिना को हराना मुश्किल काम नहीं है।
सिंधु का लगातार जीत से मनोबल कैरोलिना से जरा भी कम नहीं होगा। इसका फायदा भी फाइनल मुकाबले में मिला सकता है।