क्या आप जानते हैं कि दिल्ली-हावड़ा रूट पर नैनी में यमुना नदी में बने पुराना पुल इसी डेढ़ सौ वर्ष पूरा करने वाला है। इसी स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को इंजीनियरिंग का यह बेजोड़ नमूना 155 साल का हो जाएगा। 1859 में पुल का निर्माण शुरू हुआ था और 15 अगस्त 1865 में ट्रेनों का आवागमन शुरू हुआ था। 3150 फीट लंबे पुल के निर्माण पर उस दौरान 44 लाख 46 हजार तीन सौ रुपये खर्च हुए थे।
रेलवे संवारेगा नैनी में यमुना पर बने पुल को
यमुना के पुराने नैनी पुल से रोजाना 200 से अधिक सवारी और माल गाडिय़ों गुजरती हैं। यमुना पर ही ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का पुल भी बन रहा हैै उसकी लंबाई एक किलोमीटर से ज्यादा है। रेलवे नैनी में पुराने यमुना पुल को संवारने का कार्य करेगा।
पुल के 13 नंबर के पिलर को इसलिए कहते हैं हाथी पांव पिलर
17 पिलर (स्पैन) पर खड़े पुल के निर्माण के वक्त बहाव काफी तेज था। जलस्तर नौ फीट नीचे कर कुआं खोदा फिर राख और पत्थर की फर्श बिछाकर पत्थर की चिनाई की गई थी, जिसका व्यास 52 फीट था। उसके ऊपर पिलर का निर्माण कराया गया। इसलिए 13 नंबर पिलर को हाथी पांव पिलर कहा जाता है।
बोले प्रयागराज मंडल के जनसंपर्क अधिकारी
प्रयागराज मंडल के जनसंपर्क अधिकारी सुनील कुमार गुप्ता कहते हैं कि 15 अगस्त को नैनी के यमुना पुल को 155 साल पूरे हो जाएंगे। इसलिए पुल को संवारा जा रहा है। अगले महीने काम शुरू होगा। वैसे नियमित रूप से पुल पर पटरी व अन्य चीजों की मरम्मत होती रहती है। विशेष अवसरों पर पुल को सजाया भी जाता है। विशेष लाइटिंग की जाती है।
आंकड़ों पर एक नजर डालें
06 साल लगे थे पुल को बनने में
14 पिलर पर बना है नैनी का यमुना ब्रिज
14 स्पैन है 61 मीटर लंबे
02 स्पैन है 12.20 मीटर लंबे
01 स्पैन है 9.18 मीटर लंबा
67 फीट लंबे और 17 फीट चौड़ा है प्रत्येक पिलर
30 लाख क्यूबिक ईंट और गारा से बना है पुल
42 फीट तक गहरी है पिलर की नींव
4300 टन वजन है पुल पर रखे गर्डर का
01 करोड़ 46 लाख तीन सौ रुपये खर्च हुए थे गर्डर पर
1913 में पुल पर बिछाई गई थीं डबल लाइन
1928-29 में पुराने गर्डर की जगह नए गर्डर लगाए गए
2007 में लकड़ी के स्लीपर की जगह स्टील चैनल स्लीपर लगाए गए
2019 के कुंभ के दौरान पुल पर लगाई गई एलईडी और फसाड लाइट।