नैनीताल: हाई कोर्ट ने टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को झटका देते हुए किसानों का बकाया 3.66 करोड़ रुपये जारी करने के मामले में चार सप्ताह में फैसला करने को कहा है। 2013 में आई आपदा के बाद सेब उत्पादन के लिए प्रसिद्ध उत्तरकाशी जिले के हर्षिल, सूखी, जसपुर, झाला, पुराली, बगोरी, धराली क्षेत्र के काश्तकारों की मदद के लिए गंगोत्री फ्रूट एंड हिमालयन कृषि उत्पाद स्वायत्त सहकारिता के अलावा आधा दर्जन ट्रस्ट काम कर रहे थे।
केंद्र सरकार ने दो अगस्त 2013 को आपदा प्रभावितों की मदद के लिए एनटीपीसी, एनएचपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, टीएचडीसी समेत नौ कंपनियों के सहयोग से 25 करोड़ का सीएसआर कारपोरेट सोशल रिस्पोंसबिलिटी फंड बनाया। उत्तरकाशी क्षेत्र के किसानों की मदद के लिए टीएचडीसी को नोडल एजेंसी बनाया गया।
क्षेत्र के आठ गांवों के किसानों की मदद के लिए बैंक से ऋण लेकर स्कीम चला दी। इस स्कीम के तहत आठ करोड़ के लाइवलीहुड रेस्टोरेशन एंड रिहैबिलीटेशन प्रोजेक्ट में साढ़े चार करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। इसके तहत किसानों को फलोत्पादन, जूस इत्यादि बनाने, मार्केटिंग व प्रशिक्षण प्रदान किया गया। आठ करोड़ की इस स्कीम में टीएचडीसी से साढ़े तीन करोड़ 66 लाख बकाया था, मगर रकम नहीं दी गई तो गंगोत्री फ्रूट एवं हिमालयन कृषि उत्पाद संस्था ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
न्यायाधीश न्यायामूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ के समक्ष याचिका की सुनवाई के दौरान किसानों की ओर से अधिवक्ता राजीव बिष्ट ने दलील दी कि टीएचडीसी किसानों के राहत के लिए दी गई रकम नहीं दे रही है। एकलपीठ ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए टीएचडीसी से चार सप्ताह में किसानों की बकाया रकम तीन करोड़ 66 लाख रिलीज करने के लिए फैसला करने का आदेश पारित किया।