वर्ल्ड बैंक के मुताबिक भारत में निवेश और निर्यात में सुधार की वजह से जीडीपी दर 7.5 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान है. दक्षिण एशिया पर वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली तीन तिमाही के आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रोथ शानदार रही है. औद्योगिक ग्रोथ बढ़कर 7.9 फीसदी पर आ गई है और इस वजह से सर्विस सेक्टर में जो कमी आई, इसने उसकी भरपाई कर दी.
इसी तरह कृषि क्षेत्र की ग्रोथ दर 4 फीसदी पर मजबूत रही.रिपोर्ट के मुताबिक इस बार मांग भी बढ़ेगी. रिपोर्ट में मुद्रास्फीति यानी महंगाई के मुद्दे पर बात की गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक मजबूत वृद्धि के अलावा खाद्य कीमतों में आने वाले समय में सुधार से मुद्रास्फीति 4 फीसदी के आसपास जा सकती है. है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई 2018 से खाद्य वस्तुओं के दाम में गिरावट और तेल के दाम में नरमी के साथ रुपये की विनिमय दर में तेजी से महंगाई दर में कमी आई है.
विश्वबैंक ने बताया है कि सकल मुद्रास्फीति फरवरी 2019 में 2.6 फीसदी रही और वित्त वर्ष 2018-19 में यह औसतन 3.5 फीसदी रही. यह रिजर्व बैंक के चार फीसदी के लक्ष्य से कम है. यही वजह है कि केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में कटौती की. बता दें कि रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार रेपो दर में 0.25 बेस प्वाइंट की कटौती की है.
वहीं करंट अकाउंट डेफिसिट और फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा दोनों के नरम रहने की संभावना है. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आंतरिक मार्चे पर एकीकृत (राज्यों सहित) राजकोषीय घाटा 2019-20 और 2020-21 में घटकर जीडीपी का क्रमश: 6.2 से 6.0 फीसदी रहने का अनुमान है.
केंद्र का घाटा 2019-20 में जीडीपी का 3.4 के स्तर पर बना रह सकता है.