मोबाइल उद्योग ने वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में अच्छा प्रयास किया है। उद्योग ने 2019 से 2023 के बीच अपने कार्बन उत्सर्जन में 8 फीसदी की कटौती की है। इस अवधि में मोबाइल कनेक्शन में 9 फीसदी और डाटा ट्रैफिक में चार गुना तक की वृद्धि हुई। हालांकि, नेट जीरो लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उद्योग को मौजूदा रफ्तार से दोगुनी तेजी से यानी 2030 तक हर साल औसतन 7.5 फीसदी की दर से कार्बन उत्सर्जन में कटौती करनी होगी।
ग्रुप स्पेशल मोबाइल एसोसिएशन (जीएसएमए) की ताजा रिपोर्ट ‘मोबाइल नेट जीरो-2024’ के मुताबिक, डाटा और कनेक्टिविटी की बढ़ती मांग के बावजूद मोबाइल उद्योग के कार्बन उत्सर्जन में 4.5 फीसदी की अतिरिक्त कमी आई है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह चार फीसदी बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल बाजार चीन ने पहली बार 2024 में कार्बन उत्सर्जन चार फीसदी घटाया है, जबकि 2019 से 2023 के बीच इसमें 7 फीसदी की वृद्धि हुई थी। 5जी नेटवर्क वाले इस देश में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल चार गुना बढ़ा है, जो उत्सर्जन में कमी का प्रमुख कारण है।
7.5 की दर से 2030 तक हर साल करनी होगी कटौती लक्ष्य प्राप्त करने के लिए
अक्षय ऊर्जा के उपयोग से उत्सर्जन में आई 1.6 करोड़ टन की कमी 2023 में मोबाइल कंपनियों की ओर से इस्तेमाल कुल बिजली में सौर और पवन जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़कर 37 फीसदी पहुंच गई, जबकि 2019 में यह सिर्फ 13 फीसदी थी। इस बदलाव से कार्बन उत्सर्जन में 1.6 करोड़ टन की कटौती करने में मदद मिली है।
वैश्विक हिस्सेदारी और क्षेत्रीय प्रदर्शन
जीएसएमए की क्लाइमेट एक्शन टास्कफोर्स में अब 77 मोबाइल ऑपरेटर शामिल हैं, जिनकी वैश्विक मोबाइल कनेक्शनों में 80 फीसदी हिस्सेदारी है। क्षेत्रीय स्तर पर यूरोप ने उत्सर्जन में 56 फीसदी, उत्तर अमेरिका ने 44 फीसदी और दक्षिण अमेरिका ने 36 फीसदी तक गिरावट दर्ज की। एशिया और अफ्रीका में भी उत्सर्जन कम करने के प्रयास बढ़ रहे हैं।
नेटवर्क अपग्रेड और नीतिगत सहयोग से आई तेजी
कार्बन उत्सर्जन घटाने में तेजी के पीछे मुख्य वजह है…मोबाइल नेटवर्क का अधिक ऊर्जा-दक्ष बनना और डीजल जनरेटर की जगह स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल। कई देशों में सरकारी नीतियों और ऊर्जा बाजार में सुधार से यह संभव हो पाया है।
पुराने मोबाइल फोन के दोबारा इस्तेमाल में बढ़ी रुचि
जीएसएमए के सर्वे के मुताबिक, एक सकारात्मक प्रवृत्ति यह भी सामने आई है कि पुराने मोबाइल फोन के दोबारा इस्तेमाल की लोगों में रुचि बढ़ रही है। इसलिए, सेकंड हैंड मोबाइल फोन का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जबकि नए फोन की बिक्री धीमी हुई है। 2027 तक सेकंड हैंड मोबाइल फोन बाजार के 150 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
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