आइए जानते है कौन हैं बदरुद्दीन अजमल

मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने साल 2005 में ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फंट का गठन किया. उनका परफ्यूम का व्यवसाय है. प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने साल 1950 में अपना घर छोड़ा और मुंबई चले गए. वहां उन्होंने अगरवुड और दहन अल औध का बिज़नस किया. वह इसे असम से मंगाकर मुंबई में बेचते. कुछ सालों बाद अजमल ने दुबई में भी कारोबार करना शुरू किया. 90 के दशक में उनकी कंपनी ने मध्‍य-पूर्व के कई देशों में कारोबार फैलाया.

ख़बरों के अनुसार अजमल का परिवार असम के नागांव जिले के होजाई कस्‍बे के अधिकतर हिस्‍से का मालिक है. अजमल का वहां आलिशान घर है. उनके पास अलग-अलग डिजाइन व रंगों की लगभग 20 गाड़‍ियां हैं और अंगरक्षकों के लिए अलग बंगला है. अजमल का परिवार एशिया का सबसे अमीर एनजीओ (मरकज़-उल मारिस) चलाता है. मौजूदा समय में अजमल का कपड़ों, रियल एस्टेट, चमड़ा, हेल्थकेयर, शिक्षा और इत्र का कारोबार है.

सियासी सफर

2005 में ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फंट गठन करने के बाद वह असम की राजनीति में सक्रीय हो गए. 2006 के विधानसभा चुनाव में एआइयूडीएफ को महज 10 सीटें मिली थीं, मगर 2011 में यह आंकड़ा बड़ा और मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में अजमल की पार्टी ने 18 सीटें जीती. 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने तीन सीटें जीतीं. 2009 में एआइयूडीएफ का केवल एक सांसद था. 2016 के असम विधानसभा चुनाव में अजमल की पार्टी ने 126 सीटों में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की. इस चुनाव में उसका वोट शेयर 13 प्रतिशत रहा.

बहरहाल, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की टिप्पणी पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. ‘यूपी इन्वेस्टर्स समिट’ के सत्र में हिस्सा लेने आईं सीतारमण ने रावत के बयान के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा “मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती. कोई कुछ भी कहता है… कोई किसी बारे में बात करता है. उस पर मैं कोई प्रतिक्रिया क्यों दूं.