कोरोना के कहर के बीच मौसम में भी बदलाव होने लगा है। ऐसे में सीजनल इंफ्लूएंजा ए (एन1एच1) वायरस भी सक्रिय हो सकता है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है। पहले कोरोना और इंफ्लूएंजा वायरस के लक्षण की पहचान जरूरी है, ताकि बचाव के उपाए किए जा सकें। कोरोना की अभी वैक्सीन नहीं है, हालांकि इंफ्लूएंजा ए की वैक्सीन है, जिसे हर साल लगवा कर जटिलता से बच सकते हैं।
सक्रिय हो जाएगा इंफ्लूएंजा-ए वायरस
पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. देव सिंह का कहना है कि बारिश का मौसम खत्म हो रहा है। अब मौसम बदलने लगा है। कुछ दिनों में ठंड दस्तक दे देगी। हर साल की तरह इंफ्लूएंजा-ए वायरस सक्रिय हो जाएगा। यह वायरस हर बार रूप बदल कर आता है। पहले से ही फ्लू वैक्सीन लगवा कर उससे दो-दो हाथ की तैयारी कर सकते हैं। अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ वैक्सीनेशन जरूर कराएं। इसके अलावा कमजोर प्रतिरोधक क्षमता यानी हाई रिस्क कटेगरी मधुमेह, हाइपरटेंशन, किडनी, हार्ट, लिवर व सांस की बीमारियों से पीडि़त भी वैक्सीन लगवा सकते हैं।
21 दिन में बनती प्रतिरोधक क्षमता
डॉ. देव सिंह बताते हैं कि मौसम में बदलाव से पहले वैक्सीन लगवानी चाहिए। वैक्सीन लगवाने का मुफीद समय 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच का होता का है। फ्लू वैक्सीन लगवाने के 21 दिन बाद प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जो एक साल तक ही रहती है। ध्यान रहे, फ्लू वैक्सीन 60-65 फीसद ही प्रभावी है।
ऐसे पहचाने दोनों के संक्रमण
कोरोना वायरस : कोरोना वायरस का संक्रमण होने पर तेज बुखार आता है। सूखी खांसी, सांस लेने में दिक्कत होती है। खाना खाने में टेस्ट नहीं मिलता है और सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती है। ऑक्सीजन का लेवल तेजी से गिरने लगता है।
सीजन इंफ्लूएंजा ए : कभी-कभी तेज बुखार भी होता है। नाक बहती है। गला चोक हो जाता है। नाक व होंठ नीले पड़ जाते हैं। सांस तेजी से फूलने लगती है।
वैक्सीन लगवाने से पहले बरतें ये सतर्कता
- -अंडे से एलर्जी या दवा रिएक्शन करने पर डॉक्टर को बताएं।
- -हार्ट, बीपी, शुगर, किडनी व लिवर के मरीज, जिनकी दवाएं चलती हैं, वे डॉक्टर से परामर्श के बाद लगवाएं।
- -गर्भवती महिलाएं भी डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
- -दो साल से कम उम्र के बच्चों को डॉक्टर की सलाह पर ही लगवाएं।