जब CBI का मुकदमा लड़ने के लिए हाईकोर्ट में जज के सामने आपस में भिड़े 2 वकील

दिल्ली उच्च न्यायालय में दो वकीलों ने गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के वकील के तौर पर पेश होने का एक-दूसरे का विरोध किया. अतिरिक्त महाधिवक्ता विक्रमजीत बनर्जी और के. राघवाचार्युलु अदालत में एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई के दौरान एक-दूसरे से उलझ गए.

दोनों वकीलों ने न्यायमूर्ति नजमी वाजिरी को बताया कि वे मामले में सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. गुरुवार को मामले में पहली बार अदालत में हाजिर हुए बनर्जी ने अदालत को बताया कि उन्हें मामले में सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने के लिए ‘सक्षम अधिकारी’ से निर्देश मिले हैं.

लेकिन राघवाचार्युलु ने बनर्जी की मौजूदगी का विरोध किया और अदालत को बताया कि उन्हें जांच एजेंसी द्वारा मामले में विशेष लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्त किया गया है.

राघवाचार्युलु उच्च न्यायालय में अस्थाना की याचिका पर 23 अक्टूबर को शुरू हुई सुनवाई के वक्त से ही उनकी तरह से पेश हो रहे हैं.

हालांकि अदालत ने इस मुद्दे पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और अस्थाना की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की अवधि 14 नवंबर तक बढ़ा दी. अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख तक इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का भी आदेश दिया है. 

उधर, सीबीआई ने राकेश अस्थाना की दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अर्जी का विरोध किया. हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर सीबीआई ने कहा कि जांच शुरुआती स्तर है, FIR रद्द करने की मांग वाली अस्थाना की अर्जी खारिज होनी चाहिए. 

दरअसल, राकेश अस्थाना ने अपने ऊपर दर्ज FIR को चुनौती दी है.अस्थाना पर घूस लेने के आरोप में FIR दर्ज किया गया था.पिछली सुनवाई में राकेश अस्थाना के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर लगी रोक को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नवंबर तक बढ़ा दिया था.सीबीआई ने जांच टीम बदले जाने और केस से जुड़ी फाइलों के CVC के पास होने का हवाला देकर जवाब दाखिल करने के लिए और 1 नंवबर तक के वक्त की मांग की थी.

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