मुंबई: बॉलिवुड अभिनेत्री वहीदा रहमान ने अपने समय में हजारों युवा दिलों पर राज किया है. वह एक ऐसी अदाकारा हैं जो हर रोल के साथ न्याय करती नजर आई हैं. सीआईडी, प्यासा, कागज के फूल, सोलवां साल और न जाने ऐसी कितनी फिल्में हैं जिनमें दर्शक वहीदा हरमान के अभिनय कमाल देख चुके हैं.
हाल ही में उन्होंने सार्वजनिक रूप से एक इवेंट में शिरकत की जिसके बाद से वह मीडिया की सुर्खियों का हिस्सा बनी हुई हैं. इस इवेंट के दौरान उन्होंने फिल्म चौदहवीं का चांद से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी शेयर की हैं. उन्होंने बताया कि फिल्म के टाइटल ट्रैक में उनकी लाल आंखों को देखकर सेंसर बोर्ड ने कड़ी आपत्ति दर्ज की थी और इसके लिए फिल्म के निर्देशक गुरुदत्त को यह सीन काटने तक के लिए कह दिया था.
वहीदा ने बताया कि जिस समय ‘चौदहवीं का चांद’ फिल्म बन रही थी तब रंगीन सिनेमा का ट्रेंड के बारे में किसी को अधिक जानकारी नहीं थी और यह फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट में बन रही थी. उन्होंने कहा ‘जब यह फिल्म कामयाब हो गई तो फिल्म की टीम ने सोचा की सिर्फ फिल्म के टाइटल गाने ‘चौदहवीं का चांद’ कलर में फिर से शूट कर रिलीज़ किया जाए तो दर्शक उसे अधिक पसंद करेंगे. गाना कलर में फिल्माए जाने के दौरान तेज लाइट्स से की गर्मी से आंखे जलने लगती थीं लिहाजा मुझे हर शॉट के पहले आंखो में बर्फ लगानी पड़ती थी, जिस वजह से मेरी आंखे लाल हो गई थीं.
इसके अलावा वहीदा ने बताया ‘गाना देखकर सेंसर बोर्ड ने कहा कि गाने में वहीदा के दो सीन काट दीजिए. गुरुदत्त ने सवाल किया कि क्यों काट दें, सीन में तो वहीदा अकेली हैं तो फिर परेशानी या खराबी क्या है? गुरुदत्त ने कहा कि उन्होंने गाने को हु-ब-हु ब्लैक ऐंड वाइट के सीन की तरह ही शूट किया है, इसमें कुछ नया नहीं जोड़ा गया है.
जवाब में बोर्ड ने कहा कि दरअसल इन दो सीन में वहीदा की आंखे बहुत लाल हैं. इसके बाद गुरुदत्त ने आंखे लाल होने के राज से पर्दा अठाया उसके बाद भी बोर्ड के सदस्यों को यकीन नहीं हुआ. बोर्ड का कहना था कि लाल आंखों में देखने से लगता है कि सीन बहुत अटपटा लगता है. इसके बाद वहीदा ने कहा ‘कभी-कभी सोचती हूं कि आज के जमाने में यदि सेंसर बोर्ड के वही मेंबर होते तो आजकल की फिल्में देखकर उनके होश ही उड़ जाते.’
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